३१० सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय इस समय तो प्रो० गोखलेके आगमन के सम्बन्धमें तैयारियोंकी धूमधाम चल रही है। भाई कोटवाल फार्म में खूब काम करते हैं। जेकी बहन भी मदद करती है। मणि- लाल पढ़ने में लगा है। रामदास और देवदास भी नियमित रूपसे पढ़ते हैं । खेतमें काम भी करते हैं । अनी बहन भी फार्मपर है। मैं श्री पोलकको लेनेके लिए दो दिनों में डर्बन जानेवाला हूँ ।" उस समय बा और देवदास मेरे साथ आयेंगे और कुछ समय फीनिक्स में रहेंगे । चंचीकी इच्छा जब भी यहाँ आनेकी हो, वह आ सकती है। तुम अपनी ओरसे कुछ समाचार भेजो तो अच्छा । बापूके आशीर्वाद गांधीजीके स्वाक्षरोंमें मूल गुजराती प्रति (एस० एन० ९५३६) की फोटो नकलसे । २६७. श्री ह्यूमका देहान्त' इंग्लैंडसे आई ताजा डाकसे श्री ए० ओ० ह्यमके देहान्तका समाचार मिला है । वे " भारतीय राष्ट्रीय महासभाके पिता " के नामसे प्रसिद्ध थे । हम अन्यत्र 'इंडिया' से उद्धृत करके उनकी स्मृतिमें श्रद्धांजलियाँ प्रकाशित कर रहे हैं । भारतके सच्चे मित्र बहुत कम है और इसलिए जो लोग ब्रिटिश साम्राज्य में भारतकी विचित्र और कई दृष्टियों- से दुर्भाग्यपूर्ण स्थितिको समझनेका कष्ट करते हैं, उनके हम विशेष कृतज्ञ हो जाते हैं। अधिकतर तो हम यही देखते हैं कि भारतीय सिविल सर्विसके सेवा-निवृत्त लोगों में भारतीय जनताके प्रति सहानुभूतिका अभाव होता है । स्वर्गीय श्री ह्यम इसका अपवाद थे । उनका विश्वास था कि भारतीयोंके साथ बराबरीके दर्जेपर मिलनेसे प्रतिष्ठाकी हानि नहीं होती । वे जनताके नेताओंके साथ मिलकर काम करते थे और उन्हें अपने मीठे तथा सहानुभूतिपूर्ण व्यवहारके द्वारा अधिक ऊँचे और अधिक कल्याणकारी कार्य करनेके लिए उत्साहित तथा प्रेरित करते रहते थे। कहते हैं कि यद्यपि उनका शारीरिक बल क्षीण हो गया था, परन्तु उनका उत्साह अन्ततक जैसाका तैसा बना रहा । ऐसे पुरुषोंकी स्मृति ब्रिटिश लोगोंकी न्यायप्रियता में हमारे डगमगाते हुए विश्वास- को पुनः जमा देती है । हमें अब भी आशा और विश्वास है कि इंग्लैंड श्री ह्यम १. श्री पोलक और उनकी पत्नी भारतले ४ सितम्बरको डर्बन पहुँचे थे । २. “ भारतीय राष्ट्रीय महासभाके पिता " के नामसे प्रख्यात एलेन आक्टेवियन झूम गदरके समय इटावा के मजिस्टेट थे: १८७० में भारत सरकारके सचिव नियुक्त हुए और इस पदपर रहते हुए माल, खेती और वाणिज्य विभागोंके संगठनमें बहुत अच्छा काम किया; ओल्ड मैन्स होप, द स्टार इन द ईस्ट, दि राइजिंग टाइड, आदि पुस्तकोंके लेखक; यह अन्तिम पुस्तक भारतकी तत्कालीन राजनीतिक हलचलपर है । Gandhi Heritage Portal
पृष्ठ:सम्पूर्ण गाँधी वांग्मय Sampurna Gandhi, vol. 11.pdf/३४६
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