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१९९. तार : एशियाई पंजीयकको

[ फरवरी २१, १९१२से पूर्व ][१]

एशियाटिक्स
प्रिटोरिया

एम० साले कानजी जीवनभाई लालजी मेघजीभाईके यात्रा-अनुमतिपत्रोंसे सम्बन्धित पत्र-व्यवहार देखा । मेरे ख्याल में पूरी परिस्थिति न जाननेके कारण आपने प्रार्थनापत्र नामंजूर किये। ये लोग अब लॉरेंको माक्विसमें हैं। मालूम हुआ है वे महाविभव (हिज हाइनेस) आगा खाँके प्रतिनिधि हैं और एशियाई खोजों ....। [२]केन्द्रों...[३] का दौरा कर रहे हैं।विश्वास है आप प्रार्थनापत्र मिलनेपर अपने लॉरेन्को माक्विस-स्थित प्रतिनिधिको तीन सप्ताह के लिए यात्रा अनुमतिपत्र जारी करनेका अधिकार देंगे ।

गांधी

गांधीजीके स्वाक्षरोंमें मूल अंग्रेजी मसविदे (एस० एन० ५६५९) की फोटो नकलसे ।

 
  1. आगा खाँके प्रतिनिधियोंकी जोहानिसबर्ग और टॉल्स्टॉय फार्मकी यात्राका उल्लेख २-३-१९१२ के इंडियन ओपिनियन के एक समाचार में मिलता है। इस समाचार में यह भी बताया गया है कि उन्होंने फार्मपर एक जोड़ी चप्पलें खरीदीं। गांधीजीने भी "जंजीवार मेमन " के नामसे इनका संक्षिप्त-सा उल्लेख करते हुए अपनी डायरी में फरवरी २१ को उनके आनेका हवाला दिया है, और अपने उस दिनके हिसाब में दस शिलिंग की रकम भी जमा दिखाई है, जो फार्मसे खरीदी चप्पलोंकी कीमत थी । अतएव यदि यह तार, जिसमें उन यात्रियोंको ट्रान्सवाल प्रवेशकी अनुमति देनेका अनुरोध किया गया है, भेजा भी गया होगा तो उस तिथिके यानी २१ फरवरीके पूर्व ही ।
  2. और
  3. यहाँ कुछ शब्द पदे नहीं जा सके ।