अपने लड़केके मामलेमें सरकारके खिलाफ बहादुरीसे डटे रहने के कारण कूगर्सडॉर्प- के श्री छोटाभाईका नाम समस्त दक्षिण आफ्रिकामें प्रसिद्ध हो गया है। संघ-सरकार उनके पुत्रको ट्रान्सवालसे निकालना चाहती थी लेकिन श्री छोटाभाईकी दृढ़ताके कारण अपने इस प्रयत्नमें वह असफल रही। इस मामलेमें श्री गांधीने जो कार्य किया है[१] उसके लिए श्री छोटाभाईने उदारतापूर्वक ३०० पौंडका एक चेक भेंट किया है। श्री गांधीने, जैसी आजकल उनकी प्रवृत्ति है, उस चेकका व्यक्तिगत उपयोग न करनेका निश्चय किया है। यों तो श्री गांधी फीनिक्सकी अपनी सारी सम्पत्तिका
एक ट्रस्ट बना देना चाहते है, लेकिन इस सम्बन्धमें हम फिलहाल कुछ नहीं कहेंगे। किन्तु वे फीनिक्सकी जमीनपर एक स्कूल बनाना चाहते हैं और श्री छोटाभाईकी भेंट उसके लिए पर्याप्त नहीं है। अतः, उसे पूरा करनेके लिए श्री गांधीने लोगोंसे अनुदान देनेका जो अनुरोध किया है, हम उस ओर पाठकोंका ध्यान खींचना चाहते हैं।
यह तो सर्वविदित है कि दक्षिण आफ्रिकामें हमारी कोई अच्छी शिक्षण-संस्था नहीं है। इसलिए हमारा विश्वास है कि हमारे धनिक और उदारमना देशवासी श्री गांधी के आह्वानकी ओर ध्यान देंगे।
इंडियन ओपिनियन, १३-५-१९११
६०. अभ्यावेदन : उपनिवेश-मन्त्रीको[२]
[डर्बन]
मई १५, १९११
नेटाल भारतीय कांग्रेसके अध्यक्ष दाउद मुहम्मद और संयुक्त अवैतनिक सचिव दादा उस्मान[३] और मुहम्मद कासिम आंगलियाका अभ्यावेदन विनम्र निवेदन है कि:
- ↑ दक्षिण आफ्रिकी संघके नेटाल प्रान्तकी भारतीय जनताकी प्रतिनिधि-संस्था, नेटाल भारतीय कांग्रेसकी समितिकी २८ अप्रैल, १९२२ की बैठकमें हमें इस प्रान्तमें
- ↑ देखिए “ पत्र : ए० ई० छोटाभाईको", पृष्ठ ६० तथा “पत्र : डॉ० प्राणजीवन मेहताको", पृष्ठ ६५ ।
- ↑ फ्राइहीडके एक भारतीय दूकानदार और नेटाल भारतीय कांग्रेसके मन्त्री ।