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सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय

प्रकारका शस्त्र बल ही होगा, आप ऐसा न मान लें। यह बिलकुल दूसरी तरहका बल है और इसीको समझ लेना है।

आप बच्चेको रोकनेमें बच्चेका ही हित देखते हैं। आप जिसपर अंकुश लगाना चाहते हैं उसपर यह अंकुश उसीके हितके विचारसे लगाना चाहते हैं । यह उदाहरण अंग्रेजोंपर तनिक भी लागू नहीं होता। आप अंग्रेजोंके प्रति शस्त्र बलका प्रयोग करना चाहते हैं, इसमें आप अपना ही अर्थात् जनताका स्वार्थ देखते हैं। इसमें दयाका लेश भी नहीं है। यदि आप ऐसा कहें कि अंग्रेज नीच काम करते हैं; नीच काम आग है; वे इस आगमें अज्ञानसे पड़ते हैं और आप दयावश इस अज्ञानीको, यानी बच्चेको, बचाना चाहते हैं तब तो इस प्रयोगकी आजमाइशके लिए आपको जहाँ-कहीं भी कोई व्यक्ति नीच काम करता हुआ दिखे, वहाँ-वहाँ पहुँचना होगा और उन सब स्थानों- पर विपक्षीके अर्थात् बच्चेके प्राण लेनेके बजाय अपने प्राण होमने पड़ेंगे। यदि आप इतना पुरुषार्थ करना तय करें, तो करें । किन्तु यह बात है असम्भव ।

अध्याय १७ : सत्याग्रह-आत्मबल

पाठक: आप जिस सत्याग्रह अथवा आत्मबलकी बात करते हैं, क्या उसका कोई ऐतिहासिक प्रमाण है ? आजतक एक भी राष्ट्रने वैसे बलके आधारपर उन्नति की हो, ऐसा देखनेमें नहीं आता। मार-काट किये बिना दुष्ट सीधा कदापि नहीं रहता। इसका अनुभव आज भी होता रहता है।

सम्पादक : कवि तुलसीदासने कहा है :

'दया धरमको मूल है, देह मूल' अभिमान,

तुलसी दया न छोड़िए जब लग घटमें प्राण ।

मुझे तो यह वाक्य शास्त्र-वचनकी तरह लगता है। जैसे दो और दो चार ही होते हैं, ऊपरके वाक्यपर मुझे उतना ही भरोसा है । दया-बल आत्मवल है, वह सत्याग्रह है। और इस बलका प्रमाण पग-पगपर दिखाई पड़ता है। वह बल न होता, तो पृथ्वी रसातलमें समा गई होती ।

किन्तु आप तो ऐतिहासिक प्रमाण माँगते हैं। इसलिए आपको इतिहास किसे कहते हैं यह जानना पड़ेगा।

'इतिहास' का अर्थ 'ऐसा हो गया' है। यदि यह अर्थ करें, तो आपको सत्या- ग्रहके बहुत से प्रमाण दिये जा सकेंगे। 'इतिहास' जिस अंग्रेजी शब्दका अनुवाद है और जिस शब्दका अर्थ 'बादशाहोंकी तवारीख' है, उस अर्थके अनुसार सत्याग्रहका प्रमाण नहीं मिल सकता । यदि आप जस्तेकी खानमें चाँदी खोजें, तो वह कैसे मिल सकती है ? 'हिस्ट्री' में दुनियाके कोलाहलकी ही कहानी मिलेगी। इसलिए गोरी कौमोंमें कहावत है कि जिस राष्ट्रके 'हिस्ट्री' (कोलाहल) नहीं है, वह प्रजा सुखी है। राजागण किस प्रकार भोग-विलास करते थे, किस प्रकार हत्याएँ करते थे, किस


१. मूल दोहेमें 'पाप मूल ' है ।


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