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हिन्द स्वराज्य

होता है, वह देश भी तो भारत ही है। तब भी क्या आपने जो कुछ कहा वह सभ्यताका लक्षण कहलायेगा ?

सम्पादक: यह आपकी भूल है। आपने जो दोष कहे, वे तो दोष ही हैं। उन्हें कोई सभ्यता या सुधार नहीं कहता। ये दोष सभ्यताके बावजूद रह गये हैं। हमेशा इन्हें दूर करनेके प्रयत्न हुए हैं और होते रहेंगे। जो नया जोश हममें दिखाई दे रहा है, उसका उपयोग हम इन बुराइयोंको दूर करनेमें कर सकते हैं ।

मैंने आपको आधुनिक सभ्यताके जो लक्षण बताये उन्हें स्वयं उस सभ्यताके हामी मानते हैं। भारतकी सभ्यताका मैंने जो वर्णन किया है, वैसा ही उसके हिमायतियोंने किया है ।

किसी भी देशमें किसी भी सभ्यताके अन्तर्गत सभी लोग अपना सम्पूर्ण विकास नहीं कर पाये। भारतकी सभ्यताका झुकाव नैतिकताको मजबूत करनेकी ओर है। पश्चिमी सभ्यताका झुकाव अनीतिको दृढ़ करनेकी ओर है। इसीलिए मैंने उसे असभ्यता कहा है। पाश्चात्य सभ्यता नास्तिकतावादी है और भारतीय सभ्यता आस्तिकतावादी है । ऐसा समझकर श्रद्धा के साथ भारतके हितेच्छुओंको भारतीय सभ्यतासे इस तरह चिपके रहना चाहिए जिस तरह बच्चा माँसे चिपका रहता है ।

अध्याय १४ : भारत स्वतन्त्र कैसे हो ?

पाठक: मैं सभ्यता-सम्बन्धी आपके विचार समझ गया । मुझे आपके कथनपर ध्यान देना पड़ेगा। किन्तु सभी बातें तुरन्त मंजूर कर ली जायें, ऐसा तो आप नहीं मानते होंगे। ऐसी आशा भी नहीं करनी चाहिए। आपके इस प्रकारके विचारोंके अनु- सार भारतके मुक्त होनेका आप क्या उपाय मानते हैं ?

सम्पादक: मैं ऐसा बिलकुल नहीं चाहता कि मेरे विचारोंको सभी तुरन्त मान लें। मेरा इतना ही कर्तव्य है कि आप जैसे जो लोग मेरे विचार जानना चाहें, मैं अपने विचार उनके सामने रख दूँ। बादमें वे उन विचारोंकों अपनाते हैं या नहीं, यह तो समय बीतनेपर ही मालूम होगा ।

सच कहें तो भारतके आजाद होनेके उपायोंपर हम विचार कर चुके हैं। फिर भी ऐसा हमने परोक्ष रूपमें किया था। अब हम उनपर प्रत्यक्ष रूपमें विचार करेंगे ।

व्यक्ति जिस कारण से बीमार हुआ है, यदि उसे दूर कर दिया जाये, तो रोगीको आराम हो जाता है। यह जग-जाहिर बात है। इसी तरह भारत जिस कारणसे गुलाम हुआ, यदि वह दूर हो जाये, तो वह स्वतन्त्र हो जायेगा ।

पाठक : यदि भारतकी सभ्यता, जैसा आप कहते हैं, सर्वोत्तम है तो फिर भला वह गुलाम कैसे बना ?

सम्पादक : सभ्यता तो मैंने जैसी कही, वैसी ही है, किन्तु देखा जाता है कि सभी सभ्यताओंपर आपत्तियाँ आती रहती हैं। जो सभ्यता दृढ़ होती है, वह अन्तमें

१. मूल पाठके अनुसार : “ क्या यह सब भी आपकी बताई सभ्यताका लक्षण है ? "


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