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मानपत्र : लॉर्ड ग्लैड्स्टनको

डर है कि कहीं फिर वैसी ही अशोभनीय और अपमानजनक स्थिति पैदा न हो जाये । इसलिए संघको भरोसा है कि यदि यह नम्रतापूर्ण मानपत्र अगले शुक्रवारको अन्य मानपत्रोंके साथ ग्रहण न किया जा सके तो परमश्रेष्ठ इसी पत्रको महामहिम सम्राट्के प्रतिनिधिकी हैसियतसे अपने प्रति सम्मानके प्रमाणस्वरूप स्वीकार करनेकी कृपा करें। यदि मेरे संघके मानपत्रको सार्वजनिक रूपसे ग्रहण करना सम्भव न हो, तो मेरा संघ इस नाजुक स्थितिको भी भली-भाँति समझ और अनुभव कर सकता है। लेकिन यदि परमश्रेष्ठका खयाल हो कि मेरे संघका नम्रतापूर्ण मानपत्र अन्य सभी मानपत्रोंके साथ आगामी शुक्रवारको सार्वजनिक रूपसे ग्रहण किया जा सकता है तो मुझे यह निवेदन करनेका निर्देश दिया गया है कि मेरा संघ औपचारिक रूपसे मान- पत्र भेंट करना चाहता है। क्या मैं आशा करूँ कि आप तार द्वारा उत्तर देनेकी कृपा करेंगे ।

[ अंग्रेजीसे ]
इंडियन ओपिनियन, ९-७-१९१०

२२८. मानपत्र : लॉर्ड ग्लैड्स्टनको

शुक्रवार [जुलाई ८, १९१० ]

सेवामें

परमश्रेष्ठ परममाननीय वाइकाउंट ग्लैड्स्टन
दक्षिण आफ्रिका संघके गवर्नर जनरल

जोहानिसबर्ग

हम नीचे हस्ताक्षर करनेवाले लोग, जो ट्रान्सवालके ब्रिटिश भारतीय संघका प्रतिनिधित्व करते हैं, परमश्रेष्ठका और लेडी ग्लैड्स्टनका जोहानिसबर्ग आनेपर सादर स्वागत करते हैं ।

हम विश्वास करते हैं कि परमश्रेष्ठके शासनमें दक्षिण आफ्रिका संघ, दक्षिण आफ्रिकामें निवास करनेवाले सभी वर्गों और जातियोंके लिए हितकारी सिद्ध होगा ।

हम आपसे निवेदन करते हैं कि आप अत्यन्त दयालु महामहिम सम्राट् और सम्राज्ञीके प्रति उस समाजकी राजभक्ति निवेदित कर दें जिसका प्रतिनिधित्व यह संघ करता है।

[ अंग्रेजीसे ]
इंडियन ओपिनियन, १६-७-१९१०

१. इसके उत्तर में यह तार मिला था कि लॉर्ड ग्लैडस्टनको अन्य सार्वजनिक मानपत्रोंके साथ ही संघका मानपत्र लेना स्वीकार है । २. इस मानपत्रका मसविदा अनुमानतः गांधीजीने तैयार किया था और इसे श्री काछलियाने भेंट किया था । ३. देखिए पिछला शीर्षक ।