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७१. जोहानिसबर्गकी चिट्ठी

[बुधवार, फरवरी २, १९१०
के पूर्व ]

भारतीय व्यापारियोंपर आक्रमण

'संडे टाइम्स " ने भारतीय व्यापारियोंपर जबर्दस्त आक्रमण किया है। केपमें भारतीयोंके विरुद्ध जो आन्दोलन आरम्भ हुआ है यह आक्रमण उससे सम्बन्धित समाचारको लेकर किया गया है। पत्रने लिखा है कि ट्रान्सवालकी लड़ाईमें अब कोई भी दम नहीं रहा। सभी भारतीयोंने घुटने टेक दिये हैं। अब संघ-संसदमें उनके विरुद्ध और भी कड़े कानून बनाने होंगे। लेखकका उद्देश्य यह है कि समस्त भारतीयोंको दक्षिण आफ्रिकासे खदेड़ दिया जाये । इस आन्दोलनसे भारतीय व्यापारियोंको पूरी चेतावनी मिल जाती है। अधिकतर व्यापारी और उनके बाद फेरीवाले हार गये हैं। इससे दोनोंने अपने ही पैरोंपर कुल्हाड़ी मारी है। वे लड़ाईमें दिलचस्पी नहीं लेते। उनमें शक्ति नहीं है, यह मानकर सरकार चाहे जैसे कानून बनायेगी। मैं अब भी व्यापारियों और फेरीवालोंको सावधान करता हूँ। यदि वे ट्रान्सवालमें सुखसे रोटी कमाना चाहते हों तो उन्हें अपनी पूरी शक्ति लगानी चाहिए। यदि वे सब एक-एक बार भी जेल चले जायें तो बहुत-कुछ हो सकेगा।

हममें ईमानदारी नहीं रही है। इसलिए हम अनुचित रीतिसे लाभ उठाना चाहते हैं। ऐसा लाभ वास्तवमें अलाभ है; यह बात आसानीसे समझमें आ सकती है। फिर भी जो आदत पड़ गई है वह नहीं जाती। यहाँ जो बड़ी लड़ाई चल रही है उससे हम कुछ सीखें तो अच्छा हो ।

[ गुजरातीसे ]
इंडियन ओपिनियन, ५-२-१९१०






१. जोहानिसबर्गका समाचार पत्र; देखिए “भारतीय व्यापारी ", पृष्ठ १५६-५७ । Gandhi Heritage Porta