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सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय

मौसम ठंड का होता है। ऐसा माना जाता है कि काली चौदस की रात को श्मशान में भूतों के जुलूस निकलते हैं। भूतों पर विश्वास का दिखावा करने वाले लोग अपने भूत--मित्रों से मिलने के लिए श्मशानों में जाते हैं। परन्तु डरपोक लोग भूत दिखाई देने के डरसे घरों के बाहर पैर नहीं रखते।

[अंग्रेजीसे]

वेजिटेरियन,२८-३-१८९१

१४. कुछ भारतीय त्योहार--२

और यह लीजिए, अब पन्द्रह वें दिन का प्रातःकाल--ठीक दिवाली का दिन आ पहुँचा ! दिवाली के दिन खूब पटाखे छोड़े जाते हैं। उस दिन कोई आदमी अपना धन किसी को देने के लिए राजी नहीं होता। कर्ज न तो कोई लेता है, न देता है। जो-कुछ भी खरीदना हो, पहले ही दिन खरीद लिया जाता है।

अब आप एक आम सड़क के नुक्कड़ के पास खड़े हैं। उस ग्वाले को देखिए, जो दूध जैसे सफेद कपड़े पहने--जिन्हें उसने पहली ही बार पहना है--और अपनी लम्बी दाढ़ी चेहरे के दोनों ओर ऊपर को फेरकर पगड़ी के नीचे बाँधे, कुछ अधूरे गाने गाता हुआ आ रहा है। उसके पीछे-पीछे गायों का झुंड चल रहा है, जिसमें गायों के सींग लाल-हरे रंगे और चाँदो से मढ़े हुए हैं। उसके पीछे-पीछे आप छोटी-छोटी लड़कियों की वह भीड़ देखते हैं। लड़कियों के सिरों पर कुंडरियों पर सधी हुई छोटी-छोटी मटकियाँ हैं। आपको कौतुहल हो रहा है कि उन मटकियों में क्या है। मगर उस असावधान बालिका को मटकी से थोड़ा-सा दूध छलक जाता है और आपका कौतूहल शीघ्र ही मिट जाता है। अब आप उस ऊँचे-पूरे, तगड़े, सफेद मूछोंवाले आदमीको देखिए, जो अपने सिरपर बड़ा-सा सफेद दुपट्टा बाँधे है। उसके दुपट्टे में लम्बी सरकंडेकी कलम खुसी हुई है। अपनी कमर में वह एक लम्बा दुपट्टा लपेटे है जिसमें एक चाँदी की दवात खुसी हुई है। आपको जानना चाहिए कि वह एक बड़ा साहूकार है। इस तरह आपने तरह-तरहके लोगोंको देखा, जो हर्ष और उल्लाससे भरे हुए मजे के साथ घूम-फिर रहे हैं।

अब रात आ गई। सड़कें आँखों को चौंधिया देनेवाली रोशनी से दमक रही है--हाँ, चौंधिया देनेवाली उसके लिए, जिसने कभी रीजेंट स्ट्रीट या ऑक्सफोर्ड को नहीं देखा। अगर बम्बई जैसे बड़े-बड़े शहरों को छोड़ दिया जाये तो किस्टल महल में जिस पैमाने पर रोशनी होती है, उससे तो इस रोशनी को कोई तुलना नहीं होगी। स्त्री, पुरुष, बालक उत्तम वस्त्र पहने है-- और करीब-करीब सभी वस्त्र अलग रंगके हैं। उनकी अद्भुत बहु-रंगी छवि इन्द्र-धनुष को छवि प्रस्तुत कर रही है। आज की रात विद्या की देवी सरस्वती के पूजन की रात भी है। व्यापारी लोग पहली मद दर्ज करके अपने नये बही-खाते भी आज रात को शुरू करते हैं। पूजा करानेवाला