पृष्ठ:सम्पूर्ण गाँधी वांग्मय Sampurna Gandhi, vol. 1.pdf/७२

यह पृष्ठ जाँच लिया गया है।
३०
सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय

लाभ कुछ न हुआ। इस बीच एक चतुर वैद्यने बीमारी का असली कारण ताड़ लिया। उसने कहा कि इसे भूत-प्रेतों की बाधा है। अतएव भूत-प्रेतों को तुष्ट करने के लिए उसने उस स्त्री के सब कमरों में बासी रोटियों के टुकड़े और फल रखवा दिये।उसने कहा कि जितने कमरे हैं उतने ही दिनोंमें भूत-प्रेत भाग जायेंगे और उनके जानेके साथ ही बीमारी भी दूर हो जायेगी। और यही हुआ। अलबत्ता, रोटियाँ तो उस बेचारी रानीने ही खाई थीं।

इस कहानी से मालूम होता है कि आदत मनुष्यों पर कैसा अधिकार कर लेती है। मैं समझता हूँ कि इसी कारण स्नान की कमी ग्वाले को बहुत हानि नहीं पहुँचाती।

इस प्रकार के रहन-सहन का परिणाम हम आंशिक रूप से पिछले लेख में देख चुके है। वह परिणाम यह है कि अन्नाहारी ग्वाले का शरीर हृष्ट-पुष्ट होता है। वह दीर्घजीवी भी होता है। मैं एक ग्वालिनको जानता हूँ, जो १८८८ में सौ वर्ष से अधिक की थी। पिछली बार जब मैंने उसे देखा था तब उसकी नजर बहुत अच्छी थी। स्मरणशक्ति भी ताजी थी। उसे अपने बचपन में देखी हुई चीजों की याद बनी थी। वह एक लाठी के सहारे चल सकती थी। मुझे आशा है कि वह अब भी जीवित होगी।

इस सबके अलावा, ग्वाले का शरीर सुडौल होता है। उसके शरीर में कोई ऐब शायद ही मिलता है। वह शेर के समान भयावना न होता हुआ भी ताकतवर और बहादुर होता है। और सीधा भी इतना ही होता है, जैसे कि मे मना। उसका कद आतंक पैदा करनेवाला न होता हुआ भी प्रभावोत्पादक होता है। समग्रतः भारत का ग्वाला अन्नाहारियोंका एक श्रेष्ठ उदाहरण है। और जहाँतक शारीरिक बलका सम्बन्ध है, वह किसी भी मांसाहारी को तुलना में बहुत अच्छा ठहर सकता है।

[अंग्रेजीसे]

वेजिटेरियन, १४-३-१८९१

१३.कुछ भारतीय त्योहार -१

ईस्टरके इस अवसर पर मैं उस त्योहार के बारे में कुछ लिखना पसन्द करता जो समयके खयाल से ईस्टर की जोड़ी का है। परन्तु उसके साथ कुछ दुःख दायी बातें जुड़ी हुई हैं और वह सबसे बड़ा हिन्दू त्योहार भी नहीं है। इसलिए उसे छोड़कर दिवालीके त्योहार को लिया जा सकता है, जो उससे बहुत अधिक महत्त्वपूर्ण और भव्य है।

दिवाली के त्योहार को हिन्दू क्रिसमस कहा जा सकता है। वह हिन्दू वर्षके अन्तमें, अर्थात् नवम्बर महीने में पड़ता है। वह सामाजिक त्योहार भी है और धार्मिक भी और लगभग एक मासतक चलता है। आश्विन (हिन्दू वर्षके बारहवें मास) का प्रथम दिन इस भव्य त्योहार के आगमनका सूचक होता है। उस दिन बच्चे पहले-पहल पटाखे छोड़ते हैं। पहले नौ दिनोंको 'नव-रात्रि' कहा जाता है। ये दिन 'गरबी'के लिए विशेष उल्लेखनीय हैं। बीस-तीस या इससे भी ज्यादा लोग एक घेरा