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दक्षिण आफ्रिकाका वैधानिक तन्त्र

बैठकें हुईं। उनमें संघ-निर्माणके आदर्शको दृष्टिमें रखते हुए शिक्षा, न्याय, देशी लोगोंके शासन-प्रबन्ध आदि जैसे विषयोंमें अधिक एकरूपता लानेकी व्यवस्था की गई।

बोअर युद्ध समाप्त होनेपर जब उपनिवेश ब्रिटिश सत्ताके अधीन हो गया, तब सैनिक सरकारने शासन अपने हाथमें लिया। परन्तु वेरीनिगिंगकी सन्धिसे, जिसके द्वारा १९०२ में लेफ्टिनेंट गवर्नर और दूसरे मुख्य अधिकारियोंकी एक कार्यपालिकाकी स्थापना हुई, इस सैनिक शासनका अन्त हो गया । १९०३ में एक विधान परिषदकी स्थापना हुई। उसमें स्थानीय हितोंके प्रतिनिधियोंके रूपमें एक अल्प संख्यामें गैर-सरकारी सदस्योंको नामजद करनेकी व्यवस्था थी। बादमें एक आन्तर- औपनिवेशिक परिषदका संगठन किया गया। उसके १४ सरकारी और ४ गैर-सरकारी नामजद सदस्य थे। उसका काम दोनों उपनिवेशोंके सामान्य हित सम्बन्धी मामलोंका प्रबन्ध करना था। स्वशासनका दर्जा उपनिवेशको १९०७ में मिला। उसके विधानमें गोरे पुरुषोंको मताधिकार और, जैसा कि पुराने गणराज्यमें था, सख्त रंगभेदकी व्यवस्था की गई। यह नियम भी बनाया गया कि विधानमण्डलका दूसरा सदन — विधान-परिषद — नामजद स्वरूपका हो और उसके सदस्योंकी नियुक्ति पहले तो गवर्नर और बादमें सपरिषद गवर्नर करे।

ट्रान्सवाल

ट्रान्सवालको शाही उपनिवेशके रूपमें १८७९ में जो शासन विधान प्राप्त हुआ था — अर्थात् एक नामजद कार्यपालिका परिषद और एक विधानसभाका — उसका प्रिटोरिया-समझौते द्वारा, जिसमें ब्रिटिश प्रभुत्वके अधीन पूर्ण स्वशासनका आश्वासन दिया गया था, संशोधन कर दिया गया। परन्तु लंदन-समझौते में समझौतेकी प्रस्तावना निकाल दी गई, और इस तरह यह संशोधन व्यर्थ हो गया। १८९७ में ट्रान्सवालमें ऑरेंज रिवर उपनिवेश के साथ गठबन्धन करके सामान्य हितके विषयोंमें सलाह देने के लिए एक स्थायी परिषदकी स्थापना की।

सन् १९०० में अंग्रेजोंके ट्रान्सवालपर अधिकार करनेपर मिलनरको वहाँका प्रशासक नियुक्त किया गया। पुरानी कानून-पुस्तकोंमें व्यापक परिवर्तन कर दिये गये और सॉलोमन आयोगकी सिफारिशोंपर राजकीय घोषणा द्वारा केप उपनिवेशके जैसे बहुतसे कानून बना दिये गये। १९०१ में जोहानिसबर्गको और अगले वर्ष प्रिटोरियाको म्युनिसिपल शासनका अधिकार प्रदान किया गया। वेरीनिगिंगकी सन्धिमें शाही उपनिवेशका दर्जा देनेकी व्यवस्था थी, और यह भी निश्चय किया गया था कि धीरे-धीरे यह दर्जा उत्तरदायी शासनतक बढ़ाया जायेगा। १९०२ में ट्रान्सवालको कार्यपालिका परिषद और विधानसभाका अधिकार प्राप्त हुआ। दोनों नामजद की जाती थीं और लेफ्टिनेंट गवर्नरके साथ-साथ उनके सदस्य विभिन्न विभागोंके कार्यपालक मुख्याधिकारी होते थे। १९०३ में विधान परिषदकी स्थापना हुई और उसके कुछ बाद, उसी वर्ष में, आन्तर-औपनिवेशिक परिषद भी बन गई। १९०५ में लिटल्टन संविधान लागू किया गया। उसके द्वारा एक निर्वाचित विधान-सभाकी व्यवस्था हुई, परन्तु अधिकार गवर्नरके