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सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय

बात होती तो आप सब उसके मन्त्रीको अभिनन्दनपत्र भेंट करनेके लिए एकत्र नहीं होते। श्री गांधीने आगे कहा कि अगर मेरा अनुमान सही है तो अभी पिछली शाम[१] कांग्रेसको सभामें मैंने जो बात मद्रासी भाइयोंकी उपस्थिति के बारेमें कही थी वही यहाँ भी कहना चाहूँगा कि अबतक भी उनकी उपस्थिति सन्तोषजनक नहीं है। परन्तु मुझे आशा है कि भविष्य में वे अधिक संख्या में उपस्थित होंगे। श्री गांधीने कहा मुझे इस बातका दुःख है कि मैं तमिल भाषामें नहीं बोल सकता; परन्तु उन्होंने कहा कि जो मद्रासी भाइयोंके अलग रहने के बारेमें कहा गया है उसका उनकी अथवा भारतकी अन्य कौमोंकी बुराईके रूपमें कोई गलत अर्थ न लगा लिया जाये। उन्होंने कहा कि सब जानते हैं कि कांग्रेसके उद्देश्य क्या हैं। किन्तु वे केवल बातोंसे पूरे नहीं हो सकते। इसलिए मैं सबसे विनती करता हूँ कि कांग्रेसके प्रति अपना प्रेम केवल शब्दों में नहीं बल्कि प्रत्यक्ष कार्यों में प्रकट करके बतायें। श्री गांधीने कहा, मैं सबसे खास तौरपर विनती करता हूँ कि आप अपने में से कुछ प्रतिनिधियोंको मैरित्सबर्ग, लेडीस्मिथ तथा ऐसे ही अन्य स्थानोंको भेजें जहाँ प्रत्येक वर्गके भारतीय बसे हुए हैं और जो कांग्रेस के सदस्य नहीं बने हैं। आप उन्हें कांग्रेस के सदस्य बनानेका प्रयत्न करें।

[अंग्रेजीसे]
नेटाल एडवर्टाइजर, ५-६-१८९६
 

९६. भेंट : 'नेटाल एडवर्टाइजर' के प्रतिनिधि से[२]

[४ जून, १८९६ ]

श्री गांधीसे अनेक प्रश्न पूछे गये। उनके जवाब देते हुए उन्होंने बताया कि कांग्रेसकी सदस्य संख्या इस समय ३०० है । उसका सालाना अग्रिम चन्दा ३ पौंड है। कांग्रेस ऐसे सज्जनोंको सदस्य बनाना चाहती है जो न केवल अपना चन्दा दे सकें बल्कि जो कांग्रेस के उद्देश्योंके लिए प्रत्यक्ष काम भी कर सकें। हम कांग्रेसके लिए एक बड़ी रकम भी एकत्र करना चाहते हैं, जिससे कोई जायदाद खरीदी जा सके। इससे कांग्रेसके उद्देश्य पूर्ण करनेके लिए स्थायी आमदनीका एक साधन हो जायेगा।

प्रतिनिधिने पूछा "ये उद्देश्य क्या हैं?"

वे दो प्रकारके हैं। राजनीतिक और शैक्षणिक । शैक्षणिक उद्देश्य यह है कि उपनिवेशमें पैदा हुए बच्चोंको छात्रवृत्ति देकर हम उन्हें वे सारे विषय सीखनेके लिए

 
  1. इससे पहले एक सभा २ जूनको हुई थी। उस सभा में नेटाल भारतीय कांग्रेसकी ओरसे एक मानपत्र भेंट किया गया था। पर उस सभा और वहाँ दिये गये गांधीजीके भाषणका विवरण उपलब्ध नहीं हो सका।
  2. गांधीजीके भारतको विदा होनेके अंवसरपर नेटाल एडवर्टाइजरका एक प्रतिनिधि नेटालवासी भारतीयोंकी तत्कालीन सामान्य स्थितिके बारेमें उनके विचार जाननेके लिए उनसे मिला था।