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९१. तार : जो° चेम्बरलेनको[१]

डर्बन
७ मई, १८९६

भारतीय समाज आपसे हार्दिक विनती करता है कि नेटाल मताधिकार विधेयक या उसमें मन्त्रियों द्वारा गत रात्रिको पेश किये गये परिवर्तनों को मंजूर न करें। प्रार्थनापत्र[२] तैयार कर रहे हैं।

[अंग्रेजीसे]
कलोनियल ऑफिस रेकड्स सं° १७९, खण्ड १९६
 
  1. इसी प्रकारके तार वेडरबर्न, इंटर और दादाभाई नौरोजीको भेजे गये थे। हंटरने १३ मईको तारको प्राप्ति सूचना देते हुए वचन दिया था कि "प्रार्थनापत्र मिलने पर उसपर सावधानीसे विचार किया जायेगा।" "हंटरने एक पखवाड़े पहले ही चैम्बरलेनसे भेंट की थी, जिन्होंने प्रार्थनापत्रके प्रति सहानुभूति प्रकट की, परन्तु कहा था कि, दक्षिण आफ्रिकामें हमारे सामने आई पेचीदगियोंके मौजूदा दौर में असन्तुलनकारी तत्वोंको और बढ़ाने में कठिनाई है। "इंटरने आगे कहा था : "न्याय अवश्य होगा लेकिन कुछ धीमी गति से ही", क्योंकि इसे "इंगलैंडका लोकमत भारतीय कांग्रेस दल द्वारा सदासे एक ही लहजे में की जानेवाली शिकायतसे अलग करके नहीं देख पाता।" इंटरने अन्तमें सलाह दी थी : "सफलता प्राप्त करनेके लिए आपको यही करना है कि अपनी बात दृढ़तापूर्वक कहें।" (एस° एन° ९४८) २२ मईको उन्होंने फिर लिखा कि उपनिवेश मन्त्रीने आश्वस्त किया है कि वे नेटालके भारतीयोंके प्रार्थनापत्रपर पूरी तरह गौर करेंगे। (एस° एन° ९८५)
  2. दादाभाई नौरोजीने, इस तारकी प्राप्ति सूचना देते हुए, २१ मईको लिखा था कि वेडरबर्नने वह तार ब्रिटिश कमेटीकी ओरसे उनके पास भेज दिया था। इस विषयके सम्बन्ध में चेम्बरलेन के साथ हुए पत्र-व्यवहारका उल्लेख करते हुए, उन्होंने लिखा था : "मुझे खुशी है, आपके प्रार्थनापत्रपर विचार किया जायेगा और उसके प्राप्त होने या उसपर विचार कर लेनेके पहले कोई कार्रवाई नहीं की जायेगी।" (एस° एन° ९७३)