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आभार

इस खण्डकी सामग्रीके लिए हम गांधी स्मारक निधि और संग्रहालयके आभारी हैं जिन्होंने हमें अपने पुस्तकालय व संग्रहालयके पुस्तक संग्रह, गांधीजीके पत्रोंकी फोटो-नकलें और अन्य अप्रकाशित कागजातका उपयोग करनेकी पूर्ण सुविधा दी। दक्षिण आफ्रिकी समाचारपत्रोंकी कतरनें, सरकारी ब्ल्यू बुक्स, अपने दक्षिण आफ्रिकी वासके दौरान गांधीजी द्वारा समय-समयपर लिखे गये पत्र आदि बहुमूल्य सामग्रीके उपयोगकी सुविधा देनेके लिए हम साबरमती आश्रम संरक्षक और स्मारक न्यासके आभारी हैं।

हमारे लंदन स्थित प्रतिनिधिको अपने पुस्तकालय और पुराने कागजात सुलभ करनेके लिए हम लन्दनके उपनिवेश कार्यालय, ब्रिटिश म्यूजियम और लंदन वेजिटेरियन सोसाइटीके भी आभारी हैं।

अनुसन्धान और संग्रह सम्बन्धी सुविधाओंके लिए हम राष्ट्रीय पुस्तकालय कलकत्ता, बम्बई और मद्रासके विभिन्न समाचारपत्रोंके कार्यालय; गुजरात विद्यापीठ ग्रन्थालय, अहमदाबाद; अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी पुस्तकालय ; इंडियन कौंसिल ऑफ वर्ल्ड अफेयर्स पुस्तकालय, नई दिल्ली; दिल्ली विश्वविद्यालय पुस्तकालय (आफ्रिका सम्बन्धी विभाग), दिल्ली; यूनाइटेड स्टेट्स इनफॉर्मेशन सर्विसेज, दिल्ली और बम्बई; विश्वविद्यालय पुस्तकालय और एशियाटिक सोसाइटी, बम्बईके आभारी हैं।

लन्दन-सन्दर्शिकाकी पाण्डुलिपिके लिए हम श्री प्यारेलाल नैयरके आभारी हैं। इसके अतिरिक्त; 'आत्मकथा व सत्यना प्रयोगो'; 'दादाभाई नौरोजी : ग्रैंड ओल्ड मैन ऑफ इंडिया'; 'महात्मा : लाइफ ऑफ मोहनदास करमचन्द गांधी'; 'महात्मा गांधी : अर्ली फेज'; और 'श्रीमद् राजचन्द्र' पुस्तकोंके प्रकाशक और निम्नलिखित समाचारपत्र और पत्रिकाएँ हमारे धन्यवादके पात्र हैं : 'काठियावाड़ टाइम्स', 'टाइम्स ऑफ नेटाल', 'नेटाल एडवर्टाइजर', 'नेटाल मर्क्युरी', 'नेटाल विटनेस', 'वेजिटेरियन' और 'वेजिटेरियन मेसेंजर'।