इसलिए, प्रार्थी नम्रतापूर्वक आशा और प्रार्थना करते हैं कि उपर्युक्त उपधाराओं को यह सम्माननीय सदन स्वीकृति न दे। और न्याय तथा दयाके इस कार्यके लिए प्रार्थी सदैव दुआ करेंगे, आदि।
अब्दुल्ला हाजी आदम
और अन्य अनेक भारतीय
६७. प्रार्थनापत्र : जी° चेम्बरलेनको
[डर्बन ११ अगस्त, १८९५]
मुख्य उपनिवेश मन्त्री
सम्राज्ञी-सरकार, लन्दन
नेटाल उपनिवेशवासी नीचे हस्ताक्षर करनेवाले भारतीयोंका प्रार्थनापत्र
नेटालकी विधानसभा और विधान परिषदने हालमें ही भारतीय प्रवासी कानून संशोधन विधेयक मंजूर किया है। उसके सम्बन्धमें अर्ज करनेके लिए प्रार्थी नेटाल उपनिवेशवासी भारतीयोंके प्रतिनिधियोंकी हैसियत से आदरपूर्वक महानुभावकी सेवामें उपस्थित हो रहे हैं। हम प्रार्थी विधेयकके बारेमें उस हदतक अर्ज करना चाहते हैं, जहाँतक उसका असर गिरमिटियोंकी वर्तमान स्थितिपर पड़ता है और जहाँतक वह कानून अपने दायरेमें आनेवाले तथा उपनिवेशमें स्वतन्त्र नागरिकोंके रूपमें रहने के इच्छुक भारतीयोंको प्रतिवर्ष ३ पौंड शुल्कका विशेष परवाना निकालनेके लिए बाध्य करता है।
(२) प्रार्थियोंने ऊपरके विषय से सम्बन्ध रखनेवाली उपधाराओंको निकलवा देनेके उद्देश्यसे दोनों सदनोंको आदरयुक्त प्रार्थनापत्र[१] भेजे थे। परन्तु यह बताते हुए खेद होता है कि उनका कोई लाभ नहीं हुआ। प्रार्थनापत्रोंकी नकलें इसके साथ संलग्न हैं और उनपर क्रमशः 'क' तथा 'ख' चिह्न लगा दिये गये हैं।
(३) उपर्युक्त विषयसे सम्बन्ध रखनेवाली उपधाराएँ निम्नलिखित हैं :
- ↑ देखिए "प्रार्थनापत्र : नेटाल विधानसभाको", ५-५-१८९५ से पूर्व और पिछला शीर्षक।