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सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय


कानून कहता है:

मरनेवाले आदमीकी जायदादपर चार क्रमिक जिम्मेदारियाँ होती हैं — पहली, बिना फिजूल खर्चके, फिर भी बिना किसी कमीके, उस आदमीकी दफन-क्रिया वगैरा; दूसरी उसकी बची हुई जायदादसे उसके कर्जका भुगतान; फिर जो कुछ बचे उसके एक-तिहाई हिस्से से उसकी वसीयतका भुगतान; और आखिरी, उसके बचे हुए धनका वारिसोंके बीच बँटवारा।

वारिसोंका वर्णन इस प्रकार किया गया है:

(१) कानूनी हिस्सेदार, (२) शेषके हिस्सेदार, (३) दूरके रिश्तेदार, (४) इकरारनामेकी बदौलत वारिस, (५) माने हुए रिश्तेदार, (६) सार्वजनीन विरासतदार, (७) सरकार या राजा।

"कानूनी हिस्सेदारों" की व्याख्या इस प्रकार की गई है: "वे सब लोग, जिनको कुरानपाकके मुताबिक, परम्परासे या आम रायसे निश्चित हिस्सोंका अधिकारी माना गया हो।" और हिस्सेदारोंके बारह वर्गीके बयान में सौतेले भाई भी शामिल किये गये हैं। "शेषके हिस्सेदार" वे "सब लोग हैं, जिनके लिए कोई हिस्सा निश्चित नहीं किया गया और जो हिस्सेदारोंमें बँटवारा हो जानेके बाद बचा हुआ हिस्सा प्राप्त करते हैं, या अगर हिस्सेदार न हों तो सारी जायदादके अधिकारी होते हैं।" यहाँ यह बता देना होगा कि कुछ कानूनी हिस्सेदार कुछ खास परिस्थितियोंमें वारिस नहीं रहते और उस हालत में वे शेषके हिस्सेदारोंमें शामिल हो जाते हैं। "दूरके रिश्तेदार" वे "सब रिश्तेदार हैं, जो न तो कानूनी हिस्सेदार हैं न शेषके हिस्सेदार हैं।" हिस्सेदारोंका हिस्सा बँट जानेके बाद अगर मरे हुए व्यक्तिकी जायदादका कुछ हिस्सा बच जाये तो वह "शेषके अधिकारी कहलानेवाले दूसरे वर्ग के लोगोंमें बाँटा जायेगा। अगर ऐसे शेषके अधिकारी न हों तो शेष जायदाद कानूनी हिस्सेदारोंमें उनके हिस्सोंके हिसाब से बाँट दी जायेगी।"

मैं दूसरे वारिसोंकी परिभाषाएँ देकर आपके मूल्यवान स्थानको नहीं भरूँगा। इतना कहना काफी है कि उनमें गरीब शामिल नहीं किये गये है। गरीब केवल तभी कोई हिस्सा "ले" सकते हैं जब कि पहले तीन वर्गोंका निबटारा हो जाये।

शेषके अधिकारियोंमें दूसरे लोगोंके साथ "मृत व्यक्तिके पिताकी 'सन्तान' — अर्थात् भाई, सगोत्र भाई, और उनके पुत्र भी शामिल हैं, चाहे वे कितने भी नीचे दरजके क्यों न हों।" धारा १ का नियम १२ कहता है: "यह आम कायदा है कि बहनकी अपेक्षा भाई दूना हिस्सा पायेगा। इसमें अपवाद सिर्फ उन भाई-बहनोंके बारेमें है, जिनकी माता एक ही होनेपर भी पिता भिन्न हों।" और धारा ११ के नियम २५ में कहा गया है: "जहाँ केवल लड़कियाँ और लड़केकी लड़कियाँ ही हों और 'भाई' न हों, वहाँ लड़कियों और लड़केकी लड़कियोंके अपना हिस्सा पा लेनेपर जो कुछ बचे वह बहनें पायेंगी। अगर लड़की या लड़केकी लड़की एक