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सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय

हैं। दो कमरे विद्यार्थियोंके लिए नहीं, परिवारोंके लिए ठीक होते हैं। यदि आप किसी अच्छे इलाकेमें आवश्यक फर्नीचरके साथ सिर्फ एक ही कमरा किराये पर लें तो ऐसा कमरा प्रति सप्ताह ७ शिलिंग या उससे कममें मिल जाता है। एक कमरा २ शिलिंग प्रति सप्ताह के किरायेपर भी मिल जाता है। मैं कम खर्चका अनुमान दे रहा हूँ। ऐसे कमरे उत्तरी, पश्चिमी, केन्द्रीय लन्दन, पश्चिमी केंसिंग्टन, वेस्टबोर्न पार्क और लन्दनके कई अच्छे इलाकों में, जहाँ भारतीय विद्यार्थी सामान्यतः रहना पसन्द करते हैं, मिल जाते हैं। ऐसे कमरे में आप एक मेज, तीन या चार कुर्सियाँ, एक आरामकुर्सी, आवश्यक सामानके साथ हाथ-मुँह धोनेकी मेज, चूल्हा, आलमारी शायद एक किताबोंकी आलमारी, छोटी आलमारी, कालीन, कम्बल और चादर सहित पलंग, शीशा आदि चीजें पायेंगे। क्या भारतीय विद्यार्थी इससे ज्यादा सजे कमरोंके आदी होते हैं? सच तो यह है कि नवागत भारतीय, जिसे दो कमरोंकी आदत न हो, ऐसे एक ही कमरेपर मुग्ध हो जायेगा और इससे अधिककी इच्छा नहीं करेगा। जब मैंने विक्टोरिया होटलका अपना कमरा पहली बार देखा तो मुझे लगा कि मैं वहाँ सारा जीवन व्यतीत कर सकता हूँ। आपको जहाँ सबसे ज्यादा काम रहने वाल हो उसी स्थानके आसपास कमरा ढूँढना सबसे ठीक रहता है। ऐसा करनेसे ट्राम या बसके खर्च में बचत होती है।

फिर दूसरे खर्च लें जैसे कि धुलाई, स्नान आदिका। धोबीका खर्च प्रति सप्ताह ११ पेंससे ज्यादा नहीं होना चाहिए। यह इस प्रकार होगा :

पेंस
१ फलालैनकी कमीज
१ जाँघिया
१ बनियान
२ रूमाल
१ सोनेका सूट
 
कुल ११ पेंस

यदि आप जाँघिया इस्तेमाल न करें तो इस खर्चमें बचत हो सकती है खासकर गर्मियोंमें; तब जाँघिया पहनना इतना जरूरी नहीं होता। सोनेका सूट पन्द्रह दिनके बाद बदल सकते हैं। थोड़ी कोशिश से ऐसा धोबी मिल सकता है जो एक जाँघिया १३ पेंसमें और सोनेका सूट ३ पेंसमें धो देगा। यदि आप कभी सप्ताह-भर फलालैनकी कमीजके बदले नियमित रूपसे सफेद कमीजें पहनते रहेंगे तब धोबीका बिल ६ या ८ पेंस ज्यादा हो जायेगा। पर औसतन किसी भी सूरत में यह खर्च प्रति सप्ताह ११ पेंससे ज्यादा नहीं होना चाहिए।

जहाँतक स्नानका सवाल है, सिर्फ नवनिर्मित घरोंमें ही कमरोंके साथ स्नानगृह बने हुए हैं। साधारण घरोंमें स्नानगृह नहीं होंगे। ऐसी हालत में बहुतसे लोग सप्ताह में