पृष्ठ:सम्पत्ति-शास्त्र.pdf/३२०

यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।
३०१
माल के मूल्य का विनिमय।

________________

(Lepta) और रूस के रुबल (Roulble) आदि सिक्कों के नाम और उनका मूल्य में न जान सकेंगे । और बिना इन बातों के जाने मूल्य-विनिमय को तारतम्य ज्ञानना असंभव है। जो इस तारतम्य के न जानेगा वह विदेश से व्यापार करके यथेष्ट लाभ भी न उठा सकेगा |

एक उदाधरण लीजिए । हिन्दुस्तान और इंगलैंड के पारस्परिक व्यापार में यदि विनिमय हिन्दुस्तान के अनुकूल होगा, अर्थात् यदि एक रुपये के बदले १६ पेंस से अधिक मिलेंगे, तो जो लोग विलायती चीज़ों श्रीद करेंगे के फ़ायदे में रहेंगे । पर जिनका माल चिलायत में-इंगलैंड में बिकेगा उन्हें उसकी क्लीगत पहले की अपेक्षा कम मिलेगी, उतना रुपया उन्हें उसके बदले न मिलेगा जितना पहले मिलता था। यदि विनिमय हिन्दुस्तान के प्रतिकूल होगी तो फल भी इसका विपरीत होगा। एक रुपये के बदले यदि १६३ पेन्स मिलेंगे, अर्थात् यदि एक रुपया १६ पेन्स से अधिक का हो जायगी, तो १६३ पैन्स क्रोमत की चीजें एकही रुपये में अज्ञायेंगी । परन्तु विनिमय प्रतिकूल होने लै, अर्थात् एक रुपये के बदले १५३ ही पेन्स मिलने से, वही पूर्वोक्त १६३ पेम्स कोमल की चीजें खरीदने में एक रुपये से कुछ और अधिक देना पड़ेगा । अर्थात् विलायती भाछ की कोमत चढ़ जायगो । विनिमय का निर्ण:४ पेन्स होने से १२ रुपये मन की रुई के दाम इंगलैंड के व्यापारी १४ शिलिंग देंगे। पर निर्ख १६३ पैन्स ने से उन्हें उसी रुई को क़ीमत १६३ शिलिंग देनी पड़ेगी । यदि किसी और धेश में किसो साल अच्छी रुई पैदा होगी और उसकी फटती विलायत में अधिक होगी तो इस इतनी रुई की क़ीमत ह गलैंड के व्यापारी १६३ शिलिंग न देंगे। अतएव वह सस्ते भाव बिकेगी। इस दशा में हिन्दुस्तान के व्यापारी यदि और साल की तरह इस भरोसे रुई खरीद कर विलायत भेओंगे कि इस दफे भी उन्हें एक मन के १६३ शिलिंग मिलेंगे तो उनको बहुत नुकसान उठाना पड़ेगा। इसो से विदेश से व्यापार करने वाले व्यवसायियों के लिए विनिमय-सम्बन्धी ज्ञान का होना बहुत ज़रूरी है।