पृष्ठ:सम्पत्ति-शास्त्र.pdf/२९८

यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।
२७९
विदेशी माल के भाव को तारतम्य ।

घस है । अतएव वह वाक़ी का सी गठरी कपड़ा पहलै भाव से न देगी । प्योंकि इंगलैंड में अधिक का ये नहीं। परन्तु हिन्दुस्तान का ये सी गड़रियां जरूर चाहिए । उनका चहां खप है। उनके विना हिन्दुस्तान का काम नहीं चल सकता । यदि उसे तुज़ार गठरी कपड़ा न मिले तो उसका काम ही न चले। अतएव मैं सौ गट्टे कपड़े के लेने के लिए उसे हर दस गरी पीछे अट्ठारह सा मन अनाज से कुछ अधिक देना पड़ेगा। अब मान लीजिए किं हिन्दुस्तान उन्नीस सै मन अनाज, हर दस गठरी के लिए, देने की तैयार है। इस दशा में ईगलंड उसे सौ गठरी अधिक कपड़ा खुशी से दे देगा। क्याकि उसे अनाज सस्ता मिलैगा । इस तरह अनाज का खप गलैंड में कम होने से वह सस्ता हो गया ! कहां पहले दस गठरी देने से अट्ठारह सौ मन अनाज मिलता था कहां अब उन्नीस सौ मन मिलने लगा । अनाज का खप कम हुआ, इससे बह सस्ता हो गया। जो चीज़ सस्तो विकती है उस का जप चढ़ता ही है ! अनाज सस्ती हो गया। अतएव फिर उसका खूप इंगलैंड में बड़ा । जब हर दस गरी कपड़े के बदले अट्ठारह सौ मन अनाज मिलता था तव आमदनी और खप में तुल्यता थी । अनाज का ग्यप कम होते ही वह सस्ती बिकने लगा अर्थात् अट्ठारह सौ मन का भाव गिर कर उन्नीस सौ मन हो गया । उसको खप जा पहले कम हो गया था घट्स उसके सस्तेपन के कारण फिर चहा । जिन लैगों में उसे लैनो वन्द कर दिया था मैं लैनै लगे । इस स्थिति में आमदनी और खप का फिर समीकरण हो गया और उन्नास सी मन का भाव मुक़र्रर हो गया । अनेक कारणे से अमदनी और तप में फेरफार हुआ करता है। यह नहीं अनुमान किया जा सकता कि किस समय कितना बप होगा और किस समय कितनी आमदनी 1 अतएव । विदेशी देश के दरमियान अदला बदल की जाने वाली चीज़ों का भाव पहले से नहीं निदिचत किया जा सकता। यह बहुत कम स्थिर रहता है । जप कम होने से भाव गिरता हैं। और भाव गिर जाने से फिर खप अधिक होने लगता है। अर्थात् आमदनी और खप में जितनी कमी-वेश होगी, भाव में भी उतना ही उतार-चढ़ाव होगा । हाँ सबसे कम और सबसे अधिक भाव ज़रूर निश्चित किया जा सकेगा । ये भाव परस्पर वदला करने वाले देशों के उत्पत्ति-ख़र्च के अनुसार