(३) 'गंजन आदि परमोत्तम कवि इसी समय में हो गये हैं'। भू० पृष्ठ २४
(४) 'केशवदास ने इसी समय में रसिकप्रिया ग्रन्थ बनाया'। भू० पृष्ठ २१
(५) 'इसी काल कुतुवन और जायसी का नाम आता है'। भू० पृष्ठ २०
(६) 'इसी समय मतिराम ने भी रचना की'। भू० पृष्ठ २३
लिङ्ग-और वचन-सम्बन्धी भूलों का इस पुस्तक में बहुत ही आधिक्य है। एक ही शब्द दो तरह लिखा गया है। कुछ उदाहरण नीचे दिये जाते हैं—
१
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शूर्पनखा के नाक कान—पृष्ठ ८९ सूर्पनखा से झूँठ ही यह बात कहला दी—पृष्ठ १३५
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२
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कैकेयी पहले राम का बड़ा प्यार करती थी—पृष्ठ ९३ केकेयी मन्थरा…दशरथ-केकयी—पृष्ठ १२३
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३
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कुम्भकरण रावण का छोटा भाई था—पृष्ठ ९१ कुम्भकर्ण कपि सेना पराजित कर लङ्का जा रहा था—पृष्ठ ६०
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४
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ऐसी उत्तम काव्य—पृष्ठ १२७ इनके काव्य—पृष्ठ १२८
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५
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…भूलना रामायण तथा रोला रामायण हमारे देखने में नहीं आये—पृष्ठ ३० थोड़ी भी रामायण पढ़ने से—पृष्ठ १२-६२७
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