लिए समय और अध्ययन चाहिए। हिन्दी के अनेक प्रसिद्ध कवि अकबर ही के समय में हुए हैं। उनकी रचनाओं को ध्यान से पढ़ना और उनसे अनेक प्रकार के निष्कर्ष निकाल कर उनकी पालोचना करना परिश्रम-साध्य काम है। हर्ष की बात है, पण्डित सूर्यनारायण ने इस काम को बहुत अच्छी तरह किया है। आपने इस निबन्ध में अकबर के समय के प्रत्येक हिन्दी-कवि का थोड़ा बहुत हाल लिखा है। उनकी कविता के गुण-दोषों का विचार किया है और उनकी कविता के नमूने भो दिये हैं। इसके सिवा अकबर के समय में हिन्दी से सम्बन्ध रखनेवाली जितनी घटनायें हुई है सब का उल्लेख किया है। आपका मत है कि अकबर के राजत्वकाल में हिन्दी की बड़ी उन्नति हुई। अपनी इस सम्मति की पोषकता में आपने अनेक प्रमाण भी दिये हैं। उन्नति से सम्बन्ध रखनेवाले भौगोलिक, धार्मिक, सामाजिक और भाषा-सम्बन्धी सभी कारणों का आपने विचार किया है। यह सब सहज काम नहीं। बड़े परिश्रम, बड़ी खोज और बड़े अध्ययन का काम है। इसलिए पण्डित सूर्यनारायण की जितनी प्रशंसा की जाय कम है।
अकबर के समय में हिन्दी कविता की उन्नति ज़रूर हुई। इसमें कोई सन्देह नहीं। पर इस उन्नति के जो कारण पण्डित सूर्यनारायण ने बतलाये हैं वे हमारी समझ में ठीक नहीं। आपकी राय है कि अकबर के राज्य-काल में---
( १ ) देश में शान्ति होने,
( २ ) "अकबर और उसके दरबारियों का हिन्दी के कवियों का आदर-सत्कार" करने,
( ३ ) अकबर की राजधानी आगरा, ब्रजमण्डल में, होने,