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पूर्वी हिन्दी

नमूना भेजनेवालों का है। मुमकिन है, इस नमूने की बहुत सी ग़लतियाँ फारसी लिपि के कारण हुई हों। "लागि" में नीचे ज़ेर के छूट जाने से "लाग" हो जाना कोई बात ही नहीं।

डाक्टर ग्रियर्सन ने लखनऊ ज़िले की बोली के दो नमूने दिये हैं। दिया गया नमूना जहाँ का है वहीं पण्डित श्यामविहारी जी का घर है। अतएव उनका नमूना डाक्टर साहब के नमूने से ज़रूर अधिक प्रामाणिक है। डाक्टर साहब के नमूने में शब्द ग़लत हैं; वाक्य ग़लत हैं और वाक्यों का क्रम भी ग़लत है। जिस प्रान्त का नमूना है उसमें "सवांग" शब्द बोला ही नहीं जाता। "वह के साथ बिटीवा कै बनावन्त" पहले ही बन गया; "बाह्मण पूछा गवा" उसके बाद! "और विवाह की तय्यारी" पहले ही होगई; लेन देन की बात का फैसला हुआ पीछे! न मालूम किसने ऐसी उलटी सीधी बातों से भरा हुआ बे सिर पैर का नमूना भेजा है। डाक्टर साहब तो हिन्दुओं के रस्म जानते होंगे। उनको चाहिए था कि वे ऐसी बेतरतीबवार और बेहूदा बातें नमूने में न आने देते। जो विवाह १०००) में ठहरता है भला उसमें कहीं १५००० बराती