पृष्ठ:समाजवाद पूंजीवाद.djvu/९३

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समाजवाद पूंजीवाद

८६ समाजबाद :पंजीयाट डाक विभाग को हानि उठानी पदेगी।परिणाम या होगा कि लफ-विभाग डाक-मामूल को यहुन पधिक, गायद दूना या तिगुना, कर देने को याज्य होगा जो हमें प्रवश्य अमरेगा । उसने दाम-दिमाग को वनमान सुन्यवस्था और मुविधा जाती रहेगी । यही पारण है कि निजी साफ- विभाग गोलना फ्रानूनन अपगध है। राष्ट्रीय दाफ-विभाग को पाम-पार की चिट्टियाँ लाने ले जाने में नियत मामूल से यहुन पम पत्र करना पलना है और दूर की विष्टियों में नियत मासूल मे पहुन अधिक । यह पाम की चिट्टियों में होने याली यचत मे दूर की चिट्टियों में होने वाली सनि की पूर्ति करना , लिए, यह इतने कम मामूल में दूर की चिट्टियों को भेज सरना है। __ हमारी मरून की मुग्य-मुग्य ची है, में उनका राष्ट्रीय करना ही होगा । कारण, हम उनमें बाहुन अधिक लुटने हैं। इंग्लैण्ट के लोगों के सामने इस समय कोगले की गानों के गष्ट्रीयकरण की समस्या एक मुख्य समस्या है। यहां समाजवादी लोग तो कोयले की गानों का राष्ट्रीयकरण इसलिए चाहते हैं कि थाय की समानता के लिए यह जरूरी है, किन्तु दूसरे लोग उनका राष्ट्रीयकरण इसलिए चाहते हैं कि उन्हें फोयला मस्ता मिले । इंग्लैग: के जलवायु में कोयला पा यदुन जरूरी चीज़ है, किन्तु यहां उमफा भाव यहुन मंहगा रहता है। इसस कारण यह है कि या कई प्रकार की मानें है। नए गानों में ना कोयला बिल्कुल ऊपर ही मिल गया है और युप गानों में कोयले तक पहुँचने के लिए समुद्र के नीचे मीलों तक मुरंग गोदनी पदी हैं। जिन गानों में कोयला घहुन नीचा है उनमें से यह नभी निकाला जाता है जय कोयले की कीमत ऊंची हो, पोंकि उनमें बहुत प्राचं परने पर फम कोयला निकलना है। किन्तु जिन गानों में कोयला ऊंचा है और यहुन अधिक है उनमें काम करने पर मालिकों को मना लाभ ही रहता है । पानों को चालू करने में ३५० गिली से १० लान्य गिनी तक पर्च होता है, किन्तु होता यह है कि सभी गानों का कोयला महंगी गानों के कोयले से कम क्रीमन पर कभी नहीं बेचा जाता।