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समाजवाद:पूंजीवाद


न रह पायगी।

जो चीजें हमारी साधारण सम्पत्ति हैं हमें उनका भी सदुपयोग ही करने का अधिकार है। हमें उनका भी मनमाना उपयोग कदापि नहीं करने दिया जा सकता । हमें अपने छाते की नोंक से किसी की आँख नहीं फोड़ने दी जा सकती और न अपने भोजन से उसमें विप मिला कर किसी के प्राण लेने दिये जा सकते हैं, यद्यपि उन पर हमारा पूरा अधिकार है, किन्तु जो चीजें हमारी विशेष सम्पत्ति हैं अर्थात् जो वास्तव में व्यक्तिगत नहीं कही जा सकती उनका उपयोग हम इतनी बुरी तरह से करते हैं कि 'हमें उसे अमानुपिक कहना चाहिए । इंग्लैण्ड में जमींदार अपने कब्जे की ज़मीन पर से उसमें वसे हुए लोगों को निकाल सकते हैं, और उसमें भेदों और हिरनों की चरने के लिए रख सकते हैं। क्योंकि उन्हें मनुष्यों को उस ज़मीन पर रहने देने की अपेक्षा भेड़ों और हिरनों को उसमें चरने देने में अधिक लाभ होता है। यह ज़मीन पर ज़मींदारों के अधिकार की अधिकता बतलाता है । वे ज़मीन का उपयोग इस तरह करते है कि हमारी साधारण सम्पत्ति उतनी व्यक्तिगत नहीं मालूम होती जितनी कि उनकी विशेष सम्पत्ति । कहने का मतलब यह है कि ज़मींदार चाहते , हैं तो अपने कब्जे की जमीन से अपराध करते हैं जबकि हम अपने छाते की नोंक से या अपने भोजन से उसे विपैला करके अपराध नहीं कर सकते । इसीलिए समाजवादी कहते हैं कि 'विशेष सम्पत्ति पर व्यक्तिगत अधिकार जितना कम हो उतना ही अच्छा होगा।'

वैसे क्या समाजवादी और क्या पूंजीवादी दोनों का ही यह दावा है कि'हम मानव-जाति की अधिक-से-अधिक सेवा करेंगे।' किन्तु जिन सिद्धान्त पर वे टिके हुए हैं उनमें वे एक-दूसरे से मेल नहीं खाते । पूंजीवादी जमीन और पूंजी में व्यक्तिगत अधिकार रखना, व्यक्तियों के स्वार्थों को ध्यान में रख कर किए गए समझौतों या इकरारों का पालन कराना और शान्ति-रक्षा के अतिरिक्त उद्योग-धन्धों में किसी भी तरह का राजकीय हस्तक्षेप न होने देना आवश्यक समझते हैं, किन्तु समाजवादी आय की समानता को (जिसमें व्यक्तिगत विशेष सम्पत्ति के वजाय न्यक्तिगत साधारण