समाजवाद का प्राचरण कैसे करें? कानून का विषय है । वह भालसियों से काम करावेगा, किंतु वह यह भार व्यक्तियों को अपने सिर पर लेने क आजादी नहीं दे सकता, क्योंकि यदि व्यक्ति अपने अधीनस्थ लोगों को उनसे काम लेने के लिए पीटने लगेंगे तो समाज में बढ़ी अव्यवस्था फैल जायगी। इन सब दलीलों का सार यह है कि यदि हम समाजवादी हैं तो हमें समाजवाद का अधिक-से-अधिक पूरा भाचरण करने के लिए तबतक ठहरना होगा जबतक कि हमारा राष्ट्र समाजवादी नहीं हो जाता । हमें कई बार सुनाई देता है कि 'अमुक व्यक्ति बड़े जमींदार हैं या पूंजीपति हैं और मोटर रखते हैं, किन्तु फिर भी वे समाजवादी हैं। लोगों के ऐसा कहने का मतलय यह होता है कि उनका श्राचरण एक समाजवादी का सा किन्तु उन्हें कोई यह राय नहीं दे सकता कि वे अपनी जमींदारी को छोड़ दें या अपनी पूंजी को ग़रीबों को बाँट दें। कारण यह है कि लोग जानते हैं कि मौजूदा समाज समाजवादी नहीं है। वह निर्धन होने की दशा में उन्हें काम नहीं देगा । फलतः वे भूखे मर सकते हैं। श्रतः जयतक सारा राष्ट्र समाजवादी नहीं हो जाता तबतक लोग बिना किसी तरह की जोखिम उठाए समाजवाद का अधिक-से-अधिक पूरा भाचरण नहीं कर सकते । हो, जमींदारी और पूंजी के रखते हुए वे अपने अान्तरिक जीवन में समाजवाद का आचरण कर सकते हैं। यदि उन्हें मोटर अत्यावश्यक न हो तो वे मोटर न रखें। ___ हम चाहें तो पूंजीपति होते हुए भी रहन-सहन सादा रखें, गरीबो का खून न चूस कर उन्हें वर्तमान परिस्थिति में जितनी अधिक-से-अधिक सम्भव हो उतनी मजदूरी दें, अपनी पूंजी को अपनी न समझे, सार्वजनिक सममें और सार्वजनिक हित के लिए उसका उपयोग करें तथा स्वयं कमा कर खाएँ। अपने परिवार को भी परिश्रम की आदत डालें और उसे सिखाएँ कि दुनिया में अपनी मेहनत की कमाई खाना ही न्याय्य है । वर्तमान परिस्थिति में हरएक श्रादमी जो सच्चा समाजवादी है अधिक-से- अधिक यही कर सकता है !
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