समाजबाद का प्राचरण कैसे करें? बल्कि उसके लिए एक के बाद एक इस तरह अनेक कानूनों की आवश्यकता होगी । केवल ऐसा थादेशानक कानून कि 'तुम्हें तुम्हारे पडोसी से अधिक या कम न मिलेगा' काफ़ी न होगा। इस करीब- कानन ही केवल करीब पालन कराने के लिए भी अन्य कितने ही कानून उपाय है नये बनाने होंगे, पुराने रद करने होंगे, नये राजकीय विमाग मंगठिन और संचालित करने पड़ेंगे, असंख्य नी-पुरुषों को सार्वजनिक कर्मचारियों के रूप में नियुक्त करना होगा । हमें बालकों को इस तरह की शिक्षा देनी होगी कि वे अपने देश के प्रश्नों पर नए ढंग से विचार कर सकें। हम को पग-पग पर अज्ञता, मूर्खता, परम्परा, पक्षपात और धनिकों के स्थापित स्वलों के विरोध का सामना करना पड़ेगा। थोड़ी देर के लिए मान लिया जाय कि एक बहुमत द्वारा निर्वाचित सरकार है जो इस पुस्तक के विचारों से तो सहमत हैकिन्तु कोई दुसरा परिवर्तन करने को तैयार नहीं है। उसके सामने एक भूखा थाइमी जाता है और कहना कि "मुझे दान नहीं चाहिए, काम चाहिए जिससे मैं अपने भोजन का मूल्य ईमानदारी के साथ चुका सक।तो वह सरकार याज की सभी पूंजीवादी सरकारों की तरह से उत्तर दे देगी कि उसके पास काम की कमी है, इसलिए वह उसे काम नहीं दे सकती। हाँ, भीख दे सकती है। निजी व्यवसायियों और विदेशियों के हाथ में श्राज जितने काम के साधन हैं उन पर जबतक राष्ट्रीय सरकार अधिकार न कर ले तबतक वह भूखे लोगों को काम नहीं दे सकती। उन साधनों पर अधिकार करने के लिए राष्ट्रीय सरकार को खुद राष्ट्रीय भू-स्वामी, राष्ट्रीय कोपाध्यक्ष और राष्ट्रीय व्यवसायी बनना होगा। दूसरे शब्दों में, जबतक विभाजन करने के लिए राष्ट्रीय प्राय निजी व्यवसायियों और विदेशियों के हाथ में होने के बजाय उसके हाथ में न हो, तबतक वह श्राय का समान विभाजन नहीं कर सकती और जबतक ऐसा न हो तबतक कोई भी व्यक्ति समाजवाद का अधिक-से-अधिक या पूरा नाचरण नहीं कर सकता।
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