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समाजवाद का आचरण कैसे करें?


निश्चयपूर्वक यह जान लेना चाहिए कि समाजवाद का उद्देश्य प्राय की समानता के अतिरिक्त और कुछ नहीं है। __ भूतकाल में समाजवाद के बड़े-बड़े पंडित हो गए हैं और आज भी कितने ही लोग समाजवाद का अच्छा ज्ञान रखने वाले मौजूद हैं, किन्तु यदि वे प्राय की समानता नहीं चाहते तो वे कोई ऐसी बात नहीं चाहते जिससे सभ्यता की रक्षा हो सकेगी। 'भूखे भजन न होय गोपाला, यह लो अपनी कंठी माला !' यह बात किसी हिन्दू फकीर ने याही नहीं कह दी है । यदि लोगों की आवश्यकता-पूर्ति का ख्याल न रक्खा जायगा तो वे अच्छे-से-अच्छा काम करने में अपने आप को असमर्थ पायंगे। ईसा, प्लेटो और पश्चिम के भिन्न-भिन्न धार्मिक सम्प्रदायों के भिन्न-भिन्न साम्यवाद सब आर्थिक समानता को पृथ्वी पर स्वर्ग-राज्य (Kingdom of Heaven) स्थापित करने की प्रथम शर्त मानते हैं। इसलिए जो कोई किसी भी मार्ग से इस परिणाम पर पहुंचे, वह समाजवादी है और जो कोई न पहुंचे वह समाजवादी नहीं है, फिर चाहे वह अपने आप को लेखों और मापणों द्वारा कितना ही समाजवादी घोपित क्यों न करे। ___ वास्तव में समाजवादी कम लोग हैं। उनमें मिला ना सकता है, किन्तु उनमें मिलने से समाजवाद नहीं ला सकता । कारण, उनके हाथ में कोई शक्ति न होगी। हां लोग, चाहें तो ऐसे मिल कर समाजवाद के लिए धान्दोलन कर सकते हैं। इस समय जिन लोगों ने थोड़ा बहुत भी समाजवाद के विषय में जाना है वे प्रायः असमानता को धनिकों का अपराध समझते हैं और इसलिए वे, जब कभी भी बोलने या लिखने का मौका पाते हैं. धनिकों को कोसने, खोटी-खरी सुनाने से नहीं चूकते । दूसरी क्या दान-पुण्य और ऐसे धनिक भी हैं जो अपने को धनी होने के द्वारा? कारण अपराधी अनुभव करते हैं और लजित होते हैं। वे अपने श्राप को अपराधी-भाव और लजा के बोझ से हल्का करने के लिए गरीबों और ग़रीबो की संस्थाओं को दान भी देते हैं। बहुधा वे समाजवाद को गरीबों के हित के लिए होने वाला