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ममान श्राय की आपत्तियों

ममान श्राय की थापत्तियों यह होगा कि जिन लोगों के ज्यादा बाल-बच्चे होंगे वे जल्दी गरीव हो जायेंगे । इसलिए चाय के समान-विभाजन की पद्धति में बालक जन्म के साय ही भाय के अपने हिस्से का अधिकारी हो जायगा घोर उससे ठीक प्रकार से पाला-पोसा जा सकेगा। किन्नु यह सम्भव हो सकता है कि ऐसी सुन्नपूर्ण परिस्थितियों के कारण, जबकि शादियों जन्दी-जल्दी होंगी थऔर वर्तमान भयङ्कर याल. मृत्युधों का भी लोप हो जायगा, जन-संख्या में वान्दनीय मे भी अधिक वृद्धि हो जाय अथवा वृदि यहुत शीघ्र गनि से हो जे अन्यधिक वृद्धि के समान ही अमुविधाजनक होनी है। उस अवस्था में हमें जन-संरया को जान-बूझकर नियमित रखना श्रावश्यक हो जायगा। इस समय जयकि प्राय का विभाजन असमान रूप में होता है जन- मंग्या किस प्रकार सीमित सखी जाती है ? उमे मीमिति रखने के वर्तमान उपाय अन्यन्त दुष्टनापूर्ण और भयानक हैं। उनमें युद्ध, महामारी दरिद्रता श्रादि का समावेश होता है। दरिद्रता के कारण लाखों बच्चे एक वर्ष की अवस्था के पहिले ही थाहार, वन घोर निवासस्थान की योन्य व्यवस्था के अभाव में मर जाते हैं। सन्तति-नियमन के अप्राकृतिक माधनों से पश्चिम के फ्रांस श्रादि कितने ही देशों की जन-संख्या शोच- नीय रूप से घट रही है। नए-हत्या की पापमय प्रया भी प्रचलित है। पूर्वीय देशों में बच्चों की विशेषतः कन्याओं को खुले में मरने के लिए सोद देने की घटनायें अभी तक होनी है। दयावान हज़रत मुहम्मद परयाँ को इस दुप्कृत्य से रोकने के लिए ही कह गये हैं कि 'कयामत के दिन परित्यत्तय कन्यायें उठ बैठेंगी और पूर्वगी कि उन्होंने क्या अपराध किया था। किन्तु एशियाई देशों में अब भी बच्चे खुले में छोड़ दिये जाते हैं। जन-संग्या सीमित रखने के इन सब उपायों में सन्तति-नियमन के अप्राकृतिक साधन ही ज्यादा अच्छे हैं; क्योंकि बचों को पैदा करने और इस तरह मार डालने के बजाय तो यह अच्छा है कि चाहे जिन साधना से काम लिया जाय और वो पैदा हो न किए जाय । दुनिया में अब भी बहुत सारा स्थान वाली है, किन्नु धाय के समान