संसार में इस समय दो विचार-धारायें-पूँजीवाद और समाजवाद-प्रवाहित हो रही हैं। यह एक अत्यन्त विचारणीय प्रश्न है कि किस विचारधारा को अपनाने से मानव-समाज का अधिक से अधिक कल्याण होगा। यह प्रश्न हरेक व्यक्ति के जीवन से सम्बन्ध रखता है। यदि उसे अपने भविष्य का—और वह भी उज्ज्वल भविष्य का—निर्माण करना है, तो उसे समाज की वर्तमान और भावी व्यवस्था पर विचार करना और यह निश्चय करना होगा कि वह उसके निर्माण में क्या भाग अदा करे। ऐसा देखा गया है कि जब लोग राजनैतिक क्षेत्र में प्रवेश करते हैं तो आवश्यक सामग्री के अभाव में अपना मार्ग तय करने में उन्हें बड़ी कठिनाई होती है। वे बेसमझे पूँजीवाद की निन्दा और साम्यवाद की प्रशंसा में बड़े-बड़े नारे सुनते हैं। विशेषकर इन विचारधाराओं के सम्बन्ध में जो साहित्य पाया जाता है, उसकी मनोभूमिका विदेशी होने के कारण और उसको उपस्थित करने का तरीका सरल न होने के कारण सामान्य लोगों को बड़ी परेशानी होती है। इसलिए जब मैंने विश्व के प्रसिद्ध साहित्यकार वर्नार्ड शा की 'The Intelligent Woman's Guide to Socialism and Capitalism' नामक पुस्तक पढ़ी तो मुझे लगा कि उन्होंने इस विषय को अत्यन्त सरल रूप में हमारे सामने पेश किया है और यदि उन विचारों को भारतीय पाठकों के सामने लाया जाय तो एक बड़ी आवश्यकता की पूर्ति हो सकती है। इस पुस्तक द्वारा मैं अपनी इसी कल्पना को व्यावहारिक रूप दे रहा हूँ। मुझे विश्वास है कि पूँजीवाद और समाजवाद के बारे में पाठक इस पुस्तक द्वारा यथेष्ट ज्ञान प्राप्त कर सकेंगे।
१ अगस्त १९४०.