निर्धनता या धनिकता? २० है कि वह खराय है, उसको ज्यों-की-त्यों रहने देना स्वीकार न करेगा । जब स्थिति ज्यों-की-त्या नहीं रहेगी, वह बदलेगी, तब उसकी तरफ से आँखें मैंद लेने से काम न चलेगा। इसलिए ज़रूरत इस बात की है कि हम स्थिति को यों ही लुढ़कने न दें। रोक कर ठीक दिशा में चलाएँ । विचारपूर्वक सम्पत्ति का विभाजन करै । जैसा विभाजन इस समय हो रहा है वह ठीक नहीं है। सम्पत्ति विभाजन की सातवी योजना साम्यवादी योजना है और वह यह है कि विना इस बात का विचार किए कि अमुक आदमी कैसा है, उसकी कितनी उम्र है, किस तरह का काम करता है, कौन है, सातवी योजना उसका पिता कौन था, हरएक को बरावर-वरावर . हिस्सा दे दिया जाय । केवल यही योजना ठीक-धीक. काम देगी। सबसे सन्तोषजनक योजना यही है । विमानन की पहेली का यही साम्यवादी हल है। समान धाय में हमें भले ही सुन्दरता दिखाई न दे; किन्तु हम समान प्राय के भयंकर दुप्परिणामों को देख सकते हैं। जिन बुराइयों से हम नित्य संघर्ष करना पड़ता है वे असमान थाय के कारण ही पैदा होती हैं। इसलिए हमें राष्ट्रीय सम्पत्ति का विभाजन सब में समान ही करना चाहिए। निर्धनता या धनिकता? कुछ साधु-सन्तों के अलावा हरएक आदमी यही कहेगा कि जो योजना दरिद्रता का नाश न कर सके वह ग्राह्य नहीं हो सकती। (उन लोगों की दरिद्रता भी मज़बूरन नहीं, स्वेच्छा से ग्रहण की हुई होती है।) इसलिए सबसे पहिले थोड़ी देर के लिए हम दरिद्रता का ही विचार कर लें। यह आम तौर पर माना जाता है कि गरीब लोगों के लिए दरिद्रता अत्यन्त कष्ट-दायक और अभिशाप रूप सिद्ध होती है, किन्तु ग़रीब लोग
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निर्धनता या धनिकता?