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समाजवाद:पूँजीवाद


जाना चाहिए कि वे दूसरों को धनवान बनाने के बजाय अपनी श्रावश्यकताओं की पूर्ति के लिए परिश्रम करें। यह बताया जा चुका है कि फासिस्ट सरकार गरीबों को मनमाने तौर पर लूट सकती है, किन्तु धनवानों को नहीं लूट सकती। कभी-कभी धनिकों में से एक वर्ग जब बहुत अधिक धनवान हो जाता है तो उसको लूटने का लोभ संवरण करना कठिन होता है। किन्तु इसके लिए उस वर्ग के विरुद्ध धार्मिक, राजनैतिक अधवा जातीय आधार पर पहले जनता में काफी विरोध पैदा करना ज़रूरी होता है । इंग्लैण्ड के यादशाह हेनरी पाठवें ने चर्च की जायदाद लूटी और कैथोलिक पादरी होना जुर्म करार दे दिया, किन्तु उसे फौरन लूट का माल छोड़ना पड़ा और अपने प्रादेशिक अफसरों में वोट देना पड़ा । इसी प्रकार हिटलर ने भी जर्मनी में यहूदियों को लूटा है और यहूदी होना पाप टहरा दिया है। किन्तु जप्तशुदा सम्पत्ति का उपयोग जर्मन कारखानेदार कर रहे हैं जो यहूदियों की तरह ही मजदूरों का शोपण करते हैं । हिटलर की निगाह लूथर और कैथोलिक गिरजों की तरफ भी लगी हुई है, किन्तु जर्मन जनता पर भौतिकवाद और सैनिकवाद का अभी इतना असर नहीं हुआ है कि वह 'अपने इरादों को पूरा कर सके। हिटलर ने यहूदियों और उनके मित्रों को अपना शत्रु बनाकर तथा गिरजाघरों की निश्चन्तता को भंग करके बड़ी । जोखिम उठाई है। उसने रूस के विरुद्ध भी यूरोप में एक गुह बनाने की कोशिश की थी, किन्तु उसे अपना कदम पीछे हटाना पड़ा और आज वह रूस के मित्र के रूप में युद्ध का दाव खेल रहा है। फासिस्टवाद के लिए बड़ा खतरा यह है कि उसके नेता की जान के गाहक कम नहीं होते । इटली के फासिस्ट नेता मुसोशिनी पर कई वार हमले हो चुके, किन्तु वह अभी तक अपने सिर को सही-सलामत रख सका है। यद्यपि मुमोलिनी के साथी पादरियों के सख्त विरोधी है और स्वयं मुसोलिनी हमेशा नागरिक भाषा में चोलता है, फिर भी उसने पोप के साथ समझौता कर लिया है और अपने शासन को धर्म-विरोधी समस्याओं से मुक्त रक्खा है । इटली में मजहबों को नहीं सताया जाता । वहाँ