पृष्ठ:समाजवाद पूंजीवाद.djvu/२१४

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रुसी साम्यवाद

रूसी साम्यवाद २०७ श्राखरी साधन बना सकते हैं। किन्तु फासिस्टवाद की सब से बड़ी कमजोरी यह है कि वह पंजीवादी सन्यता को पतन के गड्ढे की ओर जाने से नहीं रोक सकता। यदि श्राप लोगों को उनके अज्ञान के आधार पर संगटित किया जाय तो यह हो सकता है कि अयोग्य सरकारों का तरना उलट दिया जाय, एक नेता की पूजा होने लगे, युद्ध के लिये सैनिकों को कूच करते देखकर लोग राष्ट्रप्रेम में उन्मत्त हो जॉय । प्रदर्शनी और व्याख्यानों के अवसर पर श्राकाश गुंना दिया जाय और गरीयों की असंगठित संस्थाओं का नामोनिशान मिटा दिया जाय। किन्तु इस प्रकार सभ्यता की रक्षा नहीं की जा सकती । यह तो उसके विनाश का बुला मार्ग है । फासिस्ट नेता ईमानदारी के साथ यह चाह सकता है कि इतिहास उसको शक्तिशालियों को नीचे लाने वाला और गरीबों को ऊंचा उठाने वाला बनावे । आर्थिक समानता स्थापित करने के लिये यह आवश्यक है। उसके बिना अाधुनिक राष्ट्रों में स्मृद्धि और शान्ति नहीं हो सकती। विन्तु फासिस्ट यह प्रयोग नहीं कर सकते । टनके विषय में तो यही कहना पडेगा कि धनवानों को टन्होंने और धनवान बनाया घार गरीबों को खाली पेट रवाना किया। वे गरीबों की संस्थानों के कार्यालयों को जला सक्ते है, किन्तु यदि उन्हें फिमी भूस्वामी का बंगला जलाने को कहा जाय तो वे कहने वाले को पागल टहरा देंगे। वे भूत को बुला तो सक्ते हैं, किन्तु उसे वापस भेजना नहीं जानते। फासिस्ट नेता गरीबों की लूट-खसोट के बाद जब यह अनुभव करता है कि समाज-रचना की महान योजनाओं के लिए उसे धनवानों को लूटना चाहिए तो वह अपने को बेयस पाता है। इसमें शक नहीं कि गुण्डे लोग, जो किसी भी हिंसात्मक आन्दोलन में शामिल होने के लिए दौड़ पड़ते हैं, भूस्वामी अथवा बैंकर को उतनी ही श्रासानी से यमराज के घर की राह बता सकते हैं, जितनी आसानी से कि वे किसान या मजदूर को। किन्नु फासिस्ट नेता के लिए शीघ्र ही यह श्रावश्यक हो जाता है कि वह उन पर काबू प्राप्त करे और उनको अपने योग्य स्थान अर्थान