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समाजवाद : पूँजीवाद

समाजबाद : पूँजीवाद प्रतिभाशाली फासिल व्यक्ति अनर नहीं होते और जैसा कि नेपोलियन का उदाहरण है, उनकी शक्ति उनके जीवन-काल में भी बीण हो सकती है। यदि वे फासिल व्यवस्था को अयोग्य हाथों में छोड़ जायं तो उसका परिणाम महा भयंकर हो सकता है। ल्स के जार पीटर ने रूस में बड़े- बड़े परिवर्तन किये; पीसवर्ग का निर्गण किया। ज़ारीना कैयराइन द्वितीय ने महिलाओं के विचारों और संस्कृति में वहा उत्कर्ष किया। चिन्तु उसका उत्तराधिकारी ज़ार पॉल अपना दिनाग टिकाने न रख सका 'और अपने दरवारियों द्वारा नार डाला गया । रोम के सन्नाट नीरो की देवनात्रों के समान पूजा की गई, जिससे विचारा पागल हो गया। अाखिर उसको भी बुरी तरह मारा गया। इसका कारण यह था कि उसमें पूर्व रोमन सन्नाटा-जूलियस सीजर और अॉगस्टस-सा मनोबल और राजनैतिक बुद्धिमानी न थी। प्रतः राष्ट्र को ऐसे विधान की नावश्यकता है कि जो एक योग्य और दूसरे अयोग्य शासक के बीच के जनाने में ठीक तरह काम दे सके। निरंकुश शासकों का सारा इतिहास चह बताता है कि बीच-बीच में राष्ट्र गहड़ी और खरादियों के शिकार हुए और समय-समय पर चोन्य राजा या प्रधान मन्त्री ने उनको पुनः डीक दशा में पहुंचाया । हमारे वर्तमान फासिस्ट नेता भी यह नहीं कह सकते कि उनका उत्तराधिकारी कौन होगा और न ही यह शंका निट सकती है कि न जाने कब इन की बुद्धि का दिवाला निकल नाय और कुछ-का-कुछ हो जाय । यही कारण है कि राजनीति विशारद पार्लनस्टरी प्रणाली से चिपटे हुए हैं जिसमें असाधारण अच्छा या बुरा कुछ नहीं हो सकता। फिर जन-साधारण न लैंनिक महत्वाकांक्षा भी होती है जिसे फासिस्ट नेतात्रों को सन्तुष्ट करना पड़ता है। रूस की जारीना कैयराइन द्वितीय ने जब देखा कि उसकी प्रजा गड़बड़ करने लगी है तो उसने लोगों के लिए युद्ध का मोर्चा खड़ा कर दिया । यद्यपि, अाज युद्धों का रूप अत्यन्त भयंकर वन चुका है, फिर भी फालित नेता बराबर अपनी तलवार खड़-खड़ाते रहते हैं और प्रजा को संन्तुष्ट रखने के लिए युद्ध को