उसने जब कज़ान नामक स्थान को हथिया लिया तो वोल्शेविको की
दशा अत्यन्त निराशापूर्ण होगई । पीटर्सवर्ग का पतन चन्द घण्टों को
यात मालूम होती थी। किन्तु दो साल के भीतर हमलावर दल को पूरी
तरह हरा दिया गया और लाल फ़ौज निटिश बूट और बाकी वर्दी पहन
कर ब्रिटिश हथियारों से सजित होगई, जिन्हें मि० चर्चिल ने उसके
विनाश के लिए भेजा था।
___यह कैसे हुथा, यह समझने के लिए जमीन के प्रश्न पर विचार
करना होगा । लेनिन शान्ति स्थापित करने और किसानों को जमीन
देने के वाइदे पर अधिकाराल हुआ था। जर्मनी के आगे प्रात्म-समर्पण
करके शान्ति तो उसने स्थापित कर दी, किन्तु जमीन का सवाल टेडा
या। किसानों ने जमींदारों की हकाल दिया या मौत के घाट उतार दिया
और उनकी हवेलियों को लूट लिया या जला दिया। उन्होंने सोविष्ट
पंचायत कायम की , जमीन को बाट लिया और खाद्य सामग्री पैदा करने
लगे। किन्तु किसान चढ़े व्यक्तिवादी होते हैं । जब उन्हें मालूम हुआ कि
केन्द्रीय सरकार उनसे यह आशा करती है कि वे अपने गुजर लायक
अन्न रख लेने के बाद शेप उपज राष्ट्रीय भरद्वार में दे दें ताकि शहर के
श्रमजीवियों को खाना खिलाया जा सके तो उन्होंने अतिरिक्त अन्न पैदा
करना ही बन्द कर दिया और अपने पशुओं को जन्ती से बचाने के
लिए मार डालना ज्यादा पसन्द किया । दबाव बेकार साबित हुआ ।
मास्को पुलिस के हाथ में यह था कि वह उन्हें निर्वासित करती, खाना
में कड़ी मजदूरी करवाती अथवा गोलियों से भून डालती, किन्तु इसका
अर्थ यह होता कि सोने का श्रएता देने वाली मुर्गी नरम हो जाती। साधन
श्रल्प थे और विद्रोही ताकतों से लडने का सवाल सामने था।
किन्तु किसान मास के सिद्धान्तों से चाहे जितने दूर थे, फिर भी
एक डर उन्हें था और वह यह कि कहीं पुराने जमींदार उन्हें सताने के
लिए फिर न थाजायं। मास्को के अधिकारियों को अब भी यह वात
हैरानी में डाल देती है कि ज़ार के जमाने के किसी निर्वासित भूत्वामी
की मृत्यु का समाचार सरकार के पास पहुँचने के पहले किस प्रकार पहले
पृष्ठ:समाजवाद पूंजीवाद.djvu/१९६
यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।
१८६
रूसी साम्यवाद