१६६ समाजवाद : पूंजीवाद न मिलने के कारण बहुत से लोग भी नष्ट हो जायेंगे। सरकार के सामने महान् संकट पैदा हो जायगा । उस दशा में यदि सरकार अपने-यापको तानाशाही सरकार घोपित कर दे और एक-तिहाई जनता से दूसरी तिहाई जनता पर गोली चलवावे और शेप तिहाई जनता अपने श्रम द्वारा इस संहार का खर्च चलावे तो शायद वह बच सकती है; अन्यथा इसके सिवा वह क्या कर सकती है कि अपहरित सम्पत्ति उसके मालिकों को क्षमा याचना के साथ लौटा दे? ___ सरकार वेकार-वृत्तियों के रूप में रुपया वाँट सकती है। किन्तु इस से बैठे-ठाले जीवन-निर्वाह करने की बुराई का ही विस्तार होगा, जिसको नष्ट करना कि जन्ती का उद्देश्य था । इससे तो यह अधिक युक्ति-संगत होगा कि सव रुपया जन्तशुदा बैंकों में डाल दिया संचित धन जाय और अभूतपूर्व सस्ते भावों पर कारखानेदारों का उपयोग को उधार दिया जाय, ताकि नये उद्योग जारी किये जा सके और पुरानों का विस्तार हो सके । एक उपाय यह हो सकता है कि जन्तशुदा उद्योगों में मजदूरियाँ बढ़ा दी जाय जिससे श्रमिकों की क्रयशक्ति बढ़ जाय और धनिकों के अवसर-प्राप्त प्राश्रितों को काम मिल सके। दूसरा सनसनीदार उपाय, जो किसी भी तरह असम्भव नहीं, यह है कि युद्ध छेड़ दिया जाय और जो धन पहले धनिकों पर खराव किया जाता था, वह सैनिकों पर खराव किया जाय । ये उपाय एक-दूसरे का बहिष्कार नहीं करते, उन पर एकसाथ अमल किया जा सकता है। उनसे संकट तो पैदा होगा, किन्तु उससे क्या ? पूजीवाद ने काफी वार क्रयशक्ति को एक से दूसरे हाथों में बदला है, बहुसंख्यक नागरिकों को वेकार बनाया है। जब हमने हमेशा गोलमाल किया है तो श्रव भी क्यों न करें ? हम कर सकते हैं। किन्तु जब सरकार न केवल पदभूष्ट पूँजीपतियों को, बल्कि उनके लिये विलास-सामग्री बनाने वाले बहुसंख्यक श्रन-जीवियों को तत्काल उत्पादक काम देने की तैयारी किये विना ही सारे सम्पत्तिवान वर्ग की कुल सम्पत्ति जब्त करेगी तो उसके फलस्वरूप जो भयंकर विस्फोट होगा, उसकी
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