१४४ समाजवाद : पूंजीवाद स्टाक-जावर के नाम से पुकारा जाता है । न्टाक एक्सचेंज यानी शेयर बाजार में सट्टा भी होता है जिसमें काल्पनिक शेयरों पर कालनिक कीमतें लगाई जाती है । किन्तु अभी हम स्थापित कम्पनियों के शेयरों की खर्गद-विक्री पर ही विचार करें । राष्ट्र के हिन की दृष्टि से यह महत्व की यान है कि हमारी पूजी नई कम्पनियों की स्थापना अथवा पुरानी कम्पनियों के यन्त्रों धार कार्य-नेत्र के विस्तार में लगे । किन्तु शेयर बाजार में ऐसा कुछ नहीं होता । उदाहरण के लिए श्राप किसी रेलवे कम्पनी के पचास हजार रुपये के शेयर खरीदते हैं, किन्नु यह रुपया रेलवे के विम्नार के लिए अयवा मसाफिरों की मुविधा के लिए खर्च न होगा। जो होगा वह यही कि हिस्सेदारों की सूची में दूसरे नामों के बजाय अापका नाम लिय जायगा और जो ग्रामदनी पहले दूसरों को होती थी वह श्रापको होने लगेगी। साथ ही आपका रुपया शेयर बेचने वालों को जेब में चला जायगा, जिसका वे जुए, शराब श्रादि में मनमाना उपयोग कर सकते हैं। इस तरह स्टाक एक्सचेंज में एक दिन का लेन-देन देश की श्रोद्योगिक पूंजी में नाम के लिए लाखों रुपये की वृद्धि कर सकता है, किन्तु वास्तव में वह रुपया विलास और अनाचार में खर्च हो सकता है और व्यक्तियों को कंगाल बना सकता है। इस सम्भावना से बचने के लिए नई कम्पनियों के शेयर खरीदे जा सकते हैं। किन्तु नई कम्पनियों से बहुत अधिक सावधान रहने की ज़रूरत है। आजकल धूर्त लोग किसी श्रेष्ठ उद्देश्य के नाम पर कम्पनियां खही करते हैं और शेयरों द्वारा अधिक-से-अधिक रुपया इकट्ठा कर उसे कई तरह से उडा देते हैं और याद में कम्पनियों की इति- श्री कर देते हैं। ऐसी धोखा-धडियों से जनता की रक्षा करने के लिए सरकार को कानून बनाने पड़े हैं, किन्तु वे अभी पूरी तरह बन्द नहीं हुई हैं। कुछ कम्पनियां ईमानदार लोगों द्वारा शुरू की जानी है, किन्तु वे ठोस पाये पर खड़ी नहीं होती । उनको बीच में ही नाम-मान के मूल्य पर दूसरी कम्पनियों के हाथ विक जाना पड़ता है और इस प्रकार उनके प्रवर्तकों का शुरू का सारा परिश्रम व्यर्थ चला जाता है और प्रारम्भिक
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समाजवाद:पूंजीवाद