पूंजी और उसका उपयोग १०७ होगा। ___ इंग्लैण्ड में साधारण तार सर्विस जब निजी कम्पनियों के हाथ में थी तो वह मर्यादित और खर्चीली थी । जय सरकार ने उसको अपने हाथ में ले लिया तो उसने तार की लाइनों का न केवल दूर-दूर तक विस्तार ही किया, बल्कि उसको सस्ता बनाया और मुनाफ़ा नहीं उठाया। पूंजीपतियों की भाषा में वस्तुतः उसको घाटे पर चलाया । उसने ऐसा इसलिए किया कि तारों का सस्ता भेजा जाना सारे समाज के लिये इतने लाभ की बात थी कि उससे राष्ट्र को लाभ हुश्रा । वस्तुतः तार भेजने वालों से ली जाने चाली कीमत को लागत मूल्य से कम करके घाटे की पूर्ति सार्वजनिक करों से करना अधिक न्यायपूर्ण भी था। इस प्रकार की अत्यन्त वान्छनीय व्यवस्था निजी पूंजीवाद की शक्ति के बिल्कुल बाहर की बात है। पूंजीवादी अधिक-से-अधिक मुनाफा कमाने के लिए कीमतें यथासाध्य ऊंची रखते हैं। उनके पास ऐसी कोई शक्ति नहीं जिसके द्वारा वे लागत मूल्य उन सब लोगों पर डाल सकें जिनको लाम पहुँचता है। जो लोग प्रत्यक्ष रूप से चीज़ खरीदते हैं या किसी साधन का उपयोग करते हैं उन्हीं पर खर्च का सारा बोझ उन्हें ढालना पड़ता है। यह ठीक है कि व्यवसायी लोग तारों और टेलीफोनों का खर्च चीज़ों की कीमत के रूप में अपने ग्राहकों पर डाल सकते है। किन्तु तार और टेलीफोनों के काम का अधिकतर हिस्सा व्यवसाय से सम्बन्ध नहीं रखता । उसका खर्च भेजनेवाले और किसी पर नहीं डाल सकते। सव-का-सब खर्च सार्वजनिक कोप पर डालने के विरुद्ध केवल एक ही आपत्ति है। वह यह कि यदि हम विना पर्याप्त रुपया दिये चाहे जितने लम्बे तार भेज सकेंगे तो हम जहां डाक से काम चल सकेगा वहां भी तार से ही काम लेंगे और उसमें हर खबर के अन्त में अपनी राजी खुशी के समाचार भी अवश्य लिख दिया करेंगे। ___ इन बातों को सभी को अच्छी तरह से समझ लेना चाहिए । कारण, अधिकांश आदमी इतने सीधे होते हैं कि निजी पूंजीपति उन्हें सचमुच यह समझा देते हैं कि पूंजीवाद से मुनाफा होता है, इसलिए नह सफल
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