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पूंजिवाद में ग़रीबो की हानि


पर रहने की जो इजाजत दी है उसकी कीमत है। किन्नु वकोल हमें बतायंगे कि जमीन इस तरह से निजी सम्पत्ति है ही नहीं, पर यह सही है कि वर्तमान व्यवस्था के अनुसार एक आलसी और सम्भवतः बदनाम श्रादमी पुलिस के यल पर किसी भी परिश्रमी शोर प्रतिष्ठित पुरष को सीधा जाकर कह सकता है कि 'या तो अपनी कमाई का चतुर्थांश मुझे दे दो, अन्यथा, जमीन से निकल जायो।' वह किराया लेने से भी इन्कार कर सकता है और जमीन से निकल जाने की धाज्ञा दे सकता है । स्काटलैण्ड के मछुथों और किसानों को साटुम्ब अपने देश से अमेरिका के जगली-प्रदेशों में हंकार दिया गया था। कारण, जिम जमीन में यह रहते थे उसको जमादार हिरणों का जंगल पनाना चाहते थे । इंग्लएड में भेड़ों के लिए स्थान खाली कराने के लए लोगों को लाखों की संख्या में गांवों से निकाल दिया गया था, क्योंकि जमींदारों को श्रादमियों की अपेक्षा भेड़ों से अधिक मुनाना होता था। इस प्रकार के अनेक उदाहरण दिये जा सकते हैं। ___ यड़े-बड़े कस्यों और शहरों में कारखान्गे, दफ्तरों और मुख्य याजारों के पास के मकानों का किराया ज्यादा रहता है। उसके मुकाविले पास- पाम की उपयस्तियों में मकान सस्ते होते हैं। हम मोचते हैं कि चलो, शहर के बाहरी हिस्सों में ही रह लेंगे; किन्तु नांगा, ट्राम आदि में इतना खर्च होता है कि साल के अन्त में हमें मालूम हो जाता है कि हमने बाहर रह कर भी किराये में यचन नहीं की है। मकानों के मालिक यह यान जानते हैं, इसीलिए ये कामकाजी मुहल्लों में मकानों का किराया अन्यधिक लेकर लोगों की बेयम्मी में लाभ उठाते हैं और उनकी मासिक आय का एक बड़ा हिन्सा उनसे छीन लेने हैं। इस स्थिति की भयंकरता वहां बढ़ जाती है जहाँ आयादी अधिक हो जाने के कारण अच्छी ज़मीन पहिले हाँसे विरी होती है। जो लोग याद में श्रात हैं उन्हें मालूम होता है कि खराब ज़मीन पर कब्जा करने के बजाय अच्छी ज़मीन किराये पर लेने में अधिक लाभ है । यह किराये की रकम ही अली और स्वराय जमीन की उत्पत्ति का अन्तर है। ऐसे मौकों पर