पृष्ठ:समाजवाद और राष्ट्रीय क्रान्ति.pdf/४६

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( १६ ) साम्यवाद के बीच का मार्ग ढूंढ़ निकाला है। पूँजीवादी क्षेत्रों में उन्हें साम्यवाद की व्याधि से संसार को मुक्त करने वाले देवदूत कहा जा रहा है । इसमें कोई सन्देह नहीं कि फासिस्ट देशों में भाज साम्यवाद सोधे मुँह पड़ा है, परन्तु कौन कह सकता है कि यदि मयसिम्म अपने वायदों को पूस न कर सका, तो फिर साम्यवादी अपना सर न उठायेंगे । समष्टि राज्य ( Corporate State ) के फासिस्ट सिद्धान्त की बहुत प्रसंसा की गई है । कुछ व्यक्तियों का दावा है कि "यह मानव मस्तिष्क का महानतम रचनात्मक चमत्कार" है। कुछ कहते है कि "सौष्ठ-राज्य व्यक्ति के हितो के क्षेत्र की सीमा निर्धारित करेगा । उस सीमा के भीतर व्यक्ति के सम्पूर्ण कार्यकलाप को प्रोत्साहन दिया जायगा, उसको अपने लाभ के लिए कार्य करने की अनुमति ही न होगी, बल्कि जब तक उसके कार्य में राष्ट्र की हानि न होकर उन्नति होगी, उसे प्रोत्साहित भी किया जायगा ।" इसमें कोई आपत्ति अथवा मतभेद नहीं हो सकता, परन्तु प्रश्न यह है कि इस ध्येय को प्राप्त करने के लिए क्या साधन जुटाये गये है ? आइये हम तनक उन कानूनों और आदेशों को देखें जिनके द्वारा इटली में समष्टि राज्य की स्थापना की गई थी । उन राज्यनियमो और आज्ञाओं में हम कोई ऐसी बातें नहीं पाते जिनसे समष्टि- राज्य के लिए किये गये दावे को उचित कहा जा सके । उनमे तो कारखाना के सभी झगड़ो पर अनिवार्य समझौता लादा गया है और तीन से अधिक मजदूरो के हड़ताल करने पर उन्हें दंडित करने के लिए श्रमिक न्यायालयों का विधान है । झगड़ों को निपटाने के लिए उनकी मंशा श्रमिकों और मालिकों की संयुक्त कमेटियाँ बनाने को भी है । परन्तु समष्टि-राज्य इटली की आर्थिक संकट से रक्षा नहीं कर पाया । बेकारी के अभिशाप में भी छुटकारा न दिला सका। यह कहना ही पड़ेगा कि इटालियन क्रासिज्म के प्रशंसक इटली के