पृष्ठ:समाजवाद और राष्ट्रीय क्रान्ति.pdf/२९०

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( २६३ ) मानवीय मूल्यों की भावना से ओतप्रोत हैं। सामाजिक प्रगति के अादर्शों में उनकी श्रद्धा है। वे जीवन की संयोजता प्रजातन्त्र और स्वतन्त्रता के लिए करना चाहते हैं । वे पूर्ण नियन्त्रणवाद (t itali- tarianism) के विरुद्ध हैं और वैयक्तिक स्वतन्त्रता और योजना- नक अार्थिक व्यवस्था के बीच का समन्वय ढूंढ़ निकालना चाहते हैं । उनका मत है कि उत्पादन के साधनों का सम्मिलित स्वामित्व हुए बिना जन समुदाय को आर्थिक स्वतन्त्रता नहीं मिल सकती, परन्तु उनके विचार से इस ध्येय की प्राप्ति वैयक्तिक स्वतन्त्रता का कम से कम बलिदान करके होनी चाहिए। यह सूर्य की भांति स्पट है कि यदि मनुष्यों को सुरक्षा और स्वतन्त्रता में से एक को चुनने के लिए बाध्य किया जाय, तो वे को चुनेगे । अतः अार्थिक सुरक्षा की भावना आये बिना वास्तविक स्वतन्त्रता नहीं अा सकती। परन्तु पूँजीवादी व्यवस्था मे यह सम्भव नहीं है । तथापि, अाजकल ऐसे भी लोग हैं जो उन्मुक्त उद्यम (irre enterprise) पद का प्रतिपादन करते हैं क्योंकि उनकी सम्मति में स्वधीनता लाने का यही एकमात्र मार्ग है । वे कहते हैं कि आर्थिक जीवन के ऊपर नियन्त्रण लगाने से शासन में अफसरशाही की भावना बहुत बढ़ जायगी, और वैयक्तिक स्वतन्त्रता नष्ट हो जायगी। अार्थिक सुरक्षा पं. नेहरू इन उन्मुक्त उद्यम के पापातियों से सहमत नहीं होंगे। वे मुक्तकण्ठ से यह मान लेंगे कि संयोजना (planning) राज्य और उसकी नौकरशाही के द्वारा ही की जा सकती हैं । वे और भी आगे बढ़ कर मान लेंगे कि राज्य के निर्णयों को लागू करने के लिए बलप्रयोग की आवश्यकता पड़ेगी, परन्तु वे भली भांति जानते हैं कि पूँजीवादी अर्थव्यवस्था जनता की वेकारी और गरीबी