पृष्ठ:समाजवाद और राष्ट्रीय क्रान्ति.pdf/२५९

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( २३२ ) है। मजदूरदलीय सरकार की वैदेशिक नीति विज को नीति का चलते रहना मात्र है। अगस्त प्रस्ताव जो लोग अगस्त प्रस्ताव को दृढ़ प्रतिज्ञा लिए हुये हैं, उनके लिए चुनाव लड़ना केवल संघर्ष की तैयारी का एक रूप है । यदि हम धारासमात्रों में घुसते हैं, तो वह उनका क्रान्तिकारी उपयोग करने के लिए होता है। हम ऐसी संविधान परिषद में प्रवेश नहीं करेंगे, जो जनता की इच्छात्रों को प्रतिविम्बित और उनका प्रतिनिधित्व न करे, और जिसमें सर्वोच्च सत्ता न हो । हम दूसरों के मन्तव्यानुसार नहीं चलना चाहते, न हम अपना संविधान प्राप बनाने के पूर्ण अधिकार पर किसी प्रकार का बन्धन चाहते हैं । हम अपना भाग्य निर्माण करने की उन्मुक्त स्वाधीनता चाहते हैं । सबसे अधिक हम चाहते हैं कि जन-साधारण अपने मनोरथ को व्यक्त करे और अपनी स्वाधीनताओं का अधिकार-पत्र स्वयं लिखे । कांग्रेस ने अगस्त प्रस्ताव पर जमे रहने की घोषणा करदी है और उसे क्रियान्वित करने का दृढ़ संकल्प प्रकट किया है। वह प्रस्ताव राष्ट्रवाद और अन्तर्राष्ट्रीयता का सामंजस्य करता है और एक ऐसी सनाज-व्यवस्था का निर्माण करना चाहता है, जिसमें सम्पूर्ण सत्ता उत्पादकों के हाथ में होगी। यदि हम केवल आदर्शवादी शब्द-समूहों से सन्तुष्ट रहना नहीं चाहते, तो श्राइये, इन प्रस्ताव में निहित तत्वों की समीक्षा करें। ऐसी व्यवस्था, जनसाधारण के सक्रिय सहयोग और नेतृत्व के बिना नहीं बताई जा सकती। यह सोचना प्रात्म-वञ्चना के समान होगा कि मध्यवर्ग स्वतन्त्रता प्राप्त लेने के उपरान्त अपनी मर्जी से सम्पूर्ण सत्ता श्रमिक जनसमुदाय को सौंप देगा । ऐसा इतिहास में कभी नहीं हुअा है और भारत इसका कोई अपवाद नहीं हो सकता।