पृष्ठ:समाजवाद और राष्ट्रीय क्रान्ति.pdf/२५७

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आगे बढ़ना [*] जन साधारण और कांग्रेस (१९४६) * सन् १६४१-४३ के जनसंघर्ष के परिणामस्वरूप कांग्रेस की शक्ति और प्रभाव बहुत अधिक बढ़ गये हैं । वे विशाल जनसमूह के टुकड़े जो पहिले इसके प्रभाव से अछूते थे, अब इसके प्रभाव में श्रा गये हैं और इसमें निष्ठा रखने लगे हैं। भारतीय सेना में स्वातन्त्र-भावना घर कर गई है। उसे एक नवीन स्फुरण मिला है। अब भारतीय सेना और नागरिक जनता के बोच की पुरानी दीवार ढह गई है और भारतीय सेना शनैः २ अपना 'किराये के टट्टू' वाला रूप छोड़ती जा रही है, और यह अनुभव करती जा रही हैं कि उसका अस्तित्व विदेशी अाक्रमण से भारत की रक्षा के लिए ही नहीं है, बल्कि विदेशी जुए से भारत को मुक्त करने के लिए भी है। यह आश्चर्यजनक भले ही लगे, परन्तु भारतीय सेना, विभिन्न धर्म-सम्प्रदायों की होकर भी, अाज पथप्रदर्शन और नेतृत्व के लिए विभिन्न साम्प्रदायिक संस्थाओं की

  • १० फरवरी सन् ११४६ के समाजवादी साप्ताहिक 'जनता'

( नई दिल्ली) से |