पृष्ठ:समाजवाद और राष्ट्रीय क्रान्ति.pdf/२५२

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( २२५ ) रखने का औपनिवेशिक अधिकार भी नहीं दिया गया। ब्रिटेन की सुरक्षा के हित सर्वोपरि थे और मैत्री सन्धि (१६२२) की अाधारभूत ओ समझौते की धारायें थीं, उनमें यही उद्देश्य काम कर रहा था । सामरिक साधनों के बढ़ाने और सैनिकों के शिक्षण पर भी पाबंदियां लगा दी गई और कुछ युक्तियां जो उस समय काम में लाई गई हास्यास्पद थीं । यह कहा गया कि असीमित सेना-सामग्री और सेनाये रखने देना स्वयं आयरलैंड के हित में नहीं है क्योंकि यदि उत्तरी और दक्षिणी आयरलैंड दोनों को सेना-सामग्री रखने के ऐसा अधिकार दे दिया गया तो इससे उन दोनों में लडाई होगी। इराक के मामलों में, उसको राष्ट्र-लीग का सदस्य बनने देने से पहिले उसके सर्वसत्तात्मक अधिकारों पर पाबन्दियां लगा दी गई और कहा यह जाता रहा कि उसकी पूर्ण सत्तात्मकता का अादर किया जायगा । इस प्रकार सलाह, सहायता अथवा ब्रिटिश हिनों की मुरक्षा के बहाने से सन्धि में सामरिक और अन्य शर्ते लगा दी गई और घोषणा यह की गई कि स्वतन्त्रता प्रदान की जा चुको है। मैं यह नहीं समझता कि इन सन्धियों को किस प्रकार मैत्री. सन्धि कहा जा सकता है और किस प्रकार इन्हें स्वतन्त्रता पर अाधारित बताया जा सकता है। ये सन्धियां दवाव से प्राप्त की गई थीं, और चूँ कि वे छोटे देश थे, अतः जो थोड़ी सी सत्ता उन्हें दी जा रही थी, उसे भी छोड़ना उनके लिये कठिन था । मेरा तात्पर्य यह नहीं है कि भारतीय सन्धि इन सन्धियों की हूबहू नकल होगी । ये सन्धियाँ भी समय समत्र पर संशोधित होतो रही हैं, और पहिले की कुछेक पाबन्दियाँ हटा दी गई हैं । मिश्री सन्धि को फिर संशोधित किया जायगा । परन्तु मुझे भय है कि सुरक्षा के कारणों से कुछ सामरिक शर्ते हमारी सन्धि में लगेंगी