पृष्ठ:समाजवाद और राष्ट्रीय क्रान्ति.pdf/२०६

यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।

( १७६ ) होती" इन शब्दों को ( जो उस समय के लिए चरितार्थ होते हैं जब धनिकवर्ग प्रतिक्रियावादी और अनावश्यक हो जाता है, अर्थात समाजवादी क्रान्ति का समय आजाता है), भूल जाता है, वह मार्स के विचारों का बड़ा ही विकृत रूप दिखाकर समाजवादी दृष्टिकोण के स्थान पर बुर्जुश्रा दृष्टिकोण उपस्थित करता है" (लेनिन की संग्रहीत रचनायें, जिल्द १८, "सामाज्यवादी युद्ध", पृष्ट २२)। जमन-मोवियत समझौता एक वर्ष भी भले प्रकार न चल पाया था कि हिटलर ने उसपर पानी फेरने की ठानी। हिटलर के रूल पर हमने के कारण रूस भित्र राष्ट्रों की अोर हो गया । परन्तु भारत की साम्यवादी पार्टी ने इस तथ्य को युद्ध का स्वरूप बदलने के लिए पर्याप्त न समझा और युद्ध का सक्रिय विरोध यूर्ववत् जारी रकवा । वे इस समाचार से व्यस् र अबश्य हुए और अनेक मासों तक वे यह विश्वास करके अपने मन को समझाते रहे कि चचल ने हिटलर को रूस के विरुद्ध युद्ध घोषित करने के लिए उभाड़ा है । परन्नु भारत की साम्यवादी पार्टी स्वाधीन नहीं है। वह ब्रिटिश साम्यवादी पार्टी के द्वारा तृतीय इन्टर- नेशनल के रथ चक्र से बंधी हुई हैं । उसपर रूसी साम्यवादियों का प्रभुत्व है और वे अपनी नीतियां निर्धारित करने में रुस की वैदेशिक नीति की आवश्यकताओं के अनुसार चलते हैं । भारतीय साम्यवादी पार्टी को बाहर से आदेश मिला कि वह ब्रिटेन और संयुक्त राज्य अमरीका को युद्ध-प्रयत्नों में बिना शर्त सहायता दे क्योंकि रूस को मित्रराष्ट्रों की ओर हो जाने से युद्ध का स्वरूप बदल गया था । अब युद्ध फासिष्ट-विरोधी हो गया था। और श्रमिकवर्ग का यह कर्तव्य था कि वह मित्रराष्ट्रों का साथ दे । साम्यवादी पाटी ने तुरन्त ही इस आदेश का पालन किया और एक नवीन पक्ष प्रतिपादित किया जिसमें मित्रराष्ट्रों को बिना शर्त