पृष्ठ:समाजवाद और राष्ट्रीय क्रान्ति.pdf/१९४

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( १६७ ) कार्य करते हैं। सबसे अधिक आवश्यकता युवकों और राजनैतिक कर्मियों की उचित शिक्षा देने की है। कांग्रेसी ममाजवादियों के विरुद्ध छलभग झूठा और दुर्भावना- एर्ण प्रचार किया जा रहा है । हमें मैन्शेविका (स्प के नरमदलीय साम्यवादियों) की पदवी दी गई है। कहा जाता है कि हमने गान्धीजी और कांग्रेस हाईकमाण्ड के सम्मुन्य ग्रान्ममापंग कर दिया है। गान्धीजी के नेतृत्व में संघर्ष में सम्मिलित होने की हमनं जनता में जी अपील की है उसका जानबूझकर उल्टा अर्थ लगाकर उस गान्धीवाद के सम्मुग्व घुटने टेकना बनाया जा रहा है। ग्वैर हम अपनी सफाई पेश नहीं करेंगे । हमारे विगत और वर्तमान कार्य ही हमारे बचाव के लिए पर्याप्त हैं । हमने जो दिशा अपनाई है उसका तात्पर्य यह नहीं है कि हमने गान्धीवादी दर्शन को मान लिया है अथवा हम गान्धीवादी नरीके को पर्यात या प्रभावमा मनझने लगे हैं। हमने बार बार गान्धीवादी नर्गक की अपाता और अांशिक प्रभावांपादकना की ओर संकेत किया है और उसकी पृति करने के लिए कार्यक्रम उपस्थित किये हैं। यह एक कटीर सत्य है कि ग्राज के दिन कोई भी सवर्ष तब तक न तो राष्ट्र व्यापी बन सकता है और न मुसार का ध्यान अर्पित कर सकता है जब तक गान्धीजी का हाथ उसमें न हो । यह हमारी राजनैतिक प्रगति की शोचनीय अवस्था का द्योतक भले ही हो परन्तु हम इसकी उपेक्षा नहीं कर सकते । इस समय हमें एक शक्तिशाली जन-अान्दोलन चाहिये और जब तक मान्धीजी उसका अाह्वान नहीं करेंगे तब तक जनता और वर्ग बड़ी संख्या में कभी भी उसकी ओर आकर्षित नहीं होंगे अतः कांग्रेस से गान्धीजी की अवहेलना करके संघर्ष प्रारम्भ करने की