पृष्ठ:समाजवाद और राष्ट्रीय क्रान्ति.pdf/१५१

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( १२४ ) मढ़ देना बिलकुल अासान है परन्तु ईमानदारी का तकाजा है कि प्रत्येक वर्ग साफ-साफ वस्तुस्थिति को देखे और अपना उत्तरदायित्व स्वीकार कर ले। मैं अपने मुस्लिम लीगी मित्रों को यह विश्वास दिलाना चाहता हूं कि हमें अल्पसंख्यकों के अधिकारों की रक्षा का उतना ही ध्यान है, जितना उन्हें हो सकता है। मेरे विचार से बहुसंख्यक समुदाय का यह कर्तव्य है कि वह अल्पसंख्यकों का विश्वास प्राप्त करे। मैं गोचता ह श्रीमन् कि बहुसंख्यक दल के लिए यह सोच कर रह जाना ही काफी नहीं है कि वह अल्प- संख्यकों के प्रति न्याय कर रहा है। बल्कि उसका कर्तव्य यह भी है कि वह अल्पसंख्यकों में यह विश्वास पैदा कर दे कि उनके साथ न्याय हो रहा है । मै तो और भी एक कदम आगे बढ़ कर कहूंगा कि बहुसंख्यकों का कर्तव्य अल्पसंख्यकों के प्रति उदास्ता दिखाना है। मैं आपको यह यकीन दिला दें कि हम कॉग्रेसीजन किसी प्रकार के जाति, धर्म और रस के भेद नहीं माननं । इन भेदों का हमारे लिए कोई अर्थ नहीं है। हम अल्पसंख्यकों के अधिकारी को स्यांकार करते हैं और उनके हितों की रक्षा करना अपना कर्त्तव्य ममझते है। परन्नु भविष्य की सन्तति के लिए. अभी से नियम निर्धारित करने का सोचना अनुचित और अनावश्यक है और इस विषय में उनकी उद्विग्नता का ही परिचायक है । क्या आप भविष्य के मुसलमानों के हाथ बॉध सकते हैं ? मैं अपने मित्रों को यह जता दूं कि श्राज इस्लामी दुनियों में बड़ी उथल पुथल हो रही है । इस्लामी देश अपना ढांचा जाति और राष्ट्रीयता के आधार पर खड़ा कर रहे हैं। समस्त इस्लामी संसार पर पश्चिम के विचारों का गहरा प्रभाव पड़ा है और पुरानी मध्य युगीय संस्थाओं को हटा कर सब जगह आधुनिक संस्थाओं का