पृष्ठ:समाजवाद और राष्ट्रीय क्रान्ति.pdf/१४४

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स्वतंत्रता का मतलब ब्रिटेन से पूर्णतः नाता तोड़ लेना है। हम साम्राज्यवाद के सिद्धान्त के पोषक नहीं हैं। हम जानते हैं कि साम्राज्यवाद केवल पूँजीवाद का पतनोन्मुरव रूप है और यदि हम पाक नवीन सामाजिक व्यवस्था का निर्माण करना चाहते हैं और अपने समाज की वर्तमान विकट असमानताओं को दूर करना चाहते है तो हमें उच्चवर्ग के लिए ही नहीं बल्कि मामान्य जनता के लिए भी उन्नति और संस्कृत का नया युग प्रारम्भ करना पड़ेगा। विपन्न की अोर से एक महानभाव ने अपने को प्रजातन्त्रका पक्षपाती और समाजवाद का विरोध बताया है । परन्तु वे यह भूल गये प्रतीत होते हैं कि केवल समाजवाद ही पूर्णतम प्रजातन्त्र का हामी है । पू जीवादी जनतन्त्र तो जनतन्त्र का मखौल है । प्राधिक समानता और जनता की प्राथिक स्वतन्त्रता के बिना राजनैतिक प्रजातन्त्र केवल एक अर्थहीन ढकोसला है । हम केवल कुछ वर्गों के लिए नहीं अपितु विशाल जनसमुदाय के लिए पूर्णतम प्रजातन्त्र चाहते हैं । हम अपनी निर्धन जनता के लिए वह ज्ञान का कोप खोल देना चाहते हैं जो हम पूर्वजों से मिला है। हम जीवन की सभी आर्थिक विषमताओं को दूर करना चाहते हैं । इसलिए केवल समाजवाद ही पूर्ण जनतन्त्र का पक्षपाती है। बहुत से मामलों में हमारे समान में परिवर्तन अा गया है और राष्ट्र के शरीर में नवीन नत्वों का समावेश हो गया है यदि पतनोन्मुख वर्ग अधिक समय तक जीवित रहना चाहता है तो उन्हें उस परिवर्तन को देखकर उसके अनुसार अपने को बना लेना चाहिये मैं कांग्रेस की ओर से स्पष्ट और जोरदार शब्दों में यह कह देना चाहता हूँ कि कांग्रेस भारत के ऊपर साम्राज्यवादी प्रभुत्व नही चाहती । वह जनता की मुक्ति का ध्येय लेकर चली है जब कि साम्राज्यवाद का उद्देश्य जनता का शोषण है । पतनोन्मुख साम्राज्य- 1