एक चौकीदार बोला—लात के आगे भूत भागता है, एक ही तमाचे में ठींक हो गया!
क़ादिर ने कहा—वह तमाचा बच्चा को जन्म भर याद रहेगा। मैकू के तमाचे सह लेना मामूली काम नहीं है।
चौकीदार—आज ऐसा ठोको इन सबों को कि फिर इधर आने का नाम न लें।
कादिर---खुदा ने चाहा, तो फिर इधर आयेंगे भी नहीं। मगर हैं सब बड़े हिम्मती । जान को हथेली पर लिये फिरते हैं ।
२
मैकू भीतर पहुँचा, तो ठीकेदार ने स्वागत किया--भारो मैकू मियाँ ! एक ही तमाचा लगाकर क्यों रह गये ? एक तमाचे का भला इन पर क्या असर होगा ? बड़े लतखोर हैं सब ! कितना ही पीटो, असर ही नहीं होता। बस, आज सबों के हाथ-पांव तोड़ दो, फिर इधर न आयें।
मैकू--तो क्या और न पायेंगे ?
ठीकेदार--फिर आते सबों की नानी मरेगी ।
मैकू-और जो कहीं इन तमाशा देखनेवालों ने मेरे ऊपर डण्डे चलाये तो?
ठीकेदार—तो पुलीस उनको मार भगायेगी । एक झड़प में मैदान साफ़ हो जायगा । लो जब तक एकाध बोतल पी लो । मैं तो आज मुफ्त की पिला रहा हूँ।
मैकू—क्या इन ग्राहकों को भी मुफ्त ?
ठीकेदार—क्या करता, कोई आता ही न था। जब सुना कि मुफ्त मिलेगी, तो सब धँस पड़े।
मैकू—मैं तो आज न पीऊँगा।
ठीकेदार—क्यों ? तुम्हारे लिए तो आज ताज़ी ताड़ी मँगवाई है।
मैकू—यो ही, आज पीने की इच्छा नहीं है । लाओ, कोई लकड़ी निकालो, हाथ से मारते नहीं बनता।