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समर-यात्रा
 

अगुवा होते हैं, उसकी सरकार पर भी धाक बैठ जाती है। लफंगों-लौंडों का गोल भला हाकिमों की निगाह में क्या जँचेगा।

मैकू ने ऐसी दृष्टी से देखा,जो कह रही थी-इन बातों के समझने का ठीका कुछ तुम्हीं ने नहीं लिया है और बोला-बड़े आदमी को तो हमी लोग बनाते-बिगाड़ते हैं या कोई और ? कितने ही लोग,जिन्हें कोई पूछता भी न था,हमारे ही बनाये बड़े आदमी बन गये और अब मोटरों पर निकलते हैं और हमें नीच समझते हैं। यह लोगों की तक़दीर की खूबी है कि जिसकी ज़रा बढ़ती हुई और उसने हमसे आँखे फेरी। हमारा बड़ा आदमी तो,वही है, लँगोटी बाँधे नंगे पाँव घूमता है, जो हमारी दशा को सुधारने के लिए अपनी जान हथेलो पर लिये फिरता है। और हमें किसी बड़े आदमी की परवाह नहीं है। सच पूछो, तो इन बड़े आदमियों ने ही हमारी मिट्टी खराब कर रखी है। इन्हें सरकार ने कोई अच्छी-सी जगह दे दी, बस उसका दम भरने लगे।

दीनदयाल -- नया दारोग़ा बड़ा जल्लाद है। चौरस्ते पर पहुँचते ही हंटर लेकर पिल पड़ेगा। फिर देखना,सब कैसे दुम दबाकर भागते हैं। मज़ा आयेगा।

जुलूस स्वाधीनता के नशे में चूर चौरस्ते पर पहुँचा,तो देखा,आगे सवारों और सिपाहियों का एक दस्ता रास्ता रोके खड़ा है।

सहसा दारोग़ा बीरबलसिंह घोड़ा बढ़ाकर जुलूस के सामने आ गये और बोले-तुम लोगों को आगे जाने का हुक्म नहीं है।

जुलूस के बूढ़े नेता इब्राहिमअली ने आगे बढ़कर कहा-मैं आपको इतमिनान दिलाता हूँ,किसी किस्म का दंगा-फ़साद न होगा। हम दूकानें लूटने या मोटरें तोड़ने नहीं निकले हैं। हमारा मक़सद इससे कहीं ऊँचा है।

वीरबल -- मुझे यह हुक्म है कि जुलूस यहाँ से आगे न जाने पाये।

इब्राहीम -- आप अपने अफसरों से ज़रा पूछ न लें।

वीरबल -- मैं इसकी कोई ज़रूरत नहीं समझता।

इब्राहीम -- तो हम लोग यहीं बैठते हैं। जब आप लोग चले जायेंगे तो हम निकल जायँगे।