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सप्तसरोज
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इसी का नाम पंचायत है। दूध का दूध और पानी का पानी कर दिया। दोस्ती दोस्ती की जगह है, किन्तु धर्म का पालन करना। मुख्य है। ऐसे ही सत्यवादियों के बल पृथ्वी ठहरी है, नहीं तो वह कब की रसातल को चली जाती।

इस फैसले ने अलगू और जुम्मन की दोस्ती की जड़ हिला दी। अब वे साथ साथ बाते करते नहीं दिखाई देते। इतना पुराना मित्रतारूपी वृक्ष सत्य का एक हल्का झोंका भी न सह सका। सचमुच वह बालूही की जमीन पर खडा था।

उनमे अब शिष्टाचार का अधिक व्यवहार होने लगा। एक दूसरे की आव-भगत ज्यादा करने लगे। वे मिलते-जुलते थे, मगर उसी तरह जैसे तलवार से ढाल मिलती है।

जुम्मन के चित्त में मित्र की कुटिलता आठों पहर खटका करती थी। उसे हर घडी यह चिन्ता रहती थी कि किसी तरह बदला लेने का अवसर मिले।

अच्छे कामों की सिद्धि में बड़ी देर लगती है, पर बुरे कामों की सिद्धि में यह बात नहीं। जुम्मन को भी बदला लेने का अवसर जल्दी मिल गया। पिछले साल अलगू चौधरी बटेसर से बैलों की एक बहुत अच्छी जोड़ी मोल लाये थे। बैल पछांही जाति के सुन्दर बढी-बढी सींगों वाले। महीनो तक आस पास के गावों के लोग उनके दर्शन करते रहे। दैवयोग मे जुम्मन की पंचायत के एक महीने बाद इस जोनी का एक बैल मर गया। जुम्मन ने दोस्तों से कहा, यह दगाबाजी की सजा है। इन्सान मन्त्र भले ही कर जाय, पर खुदा