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११३ चतुदेशपाल: । वालियां भक्ति करनेवालियां रोज़ा रखनेवालियां पुरुष देखी हुई और बिन देखी हुई। में ० ७ । से ० २८ : २ ६६ । आ० १ से ५ ॥ समीक्षक-०यान देकर देख ना चाहिये कि खुद्दा क्या हुआ मुहम्मद साहेब के घर का भीतरी और बाहरी प्रबन्ध करनेवला त्य ठहरा !! प्रथम आयत पर दो कहा नियां हैं एक तो यह कि मुहम्मद साहब को शहद का शर्बत प्रिय था। उनकी कई बीबियां थीं उनमें से एक के घर पीने में देर लगी तो दूरियों को अक्षु प्रतीत हुआा उनके कहने सुनने के पीछे मुहम्मद साहेब सौगंद खगए कि हम न पीटेंगे । दूसरी यह कि उनकी कई बीविों में से एक की बारी थी उसके यहां रात्रि को गए अथात् तो वह न थी अपने बाप के यइ गई थी। मुहम्मदू साहेब ने एक लडी दाखी को बुलाकर पवित्र किया । जब बीबी को इसकी खबर मिली तो अप्रसन्न होई तब मुहम्मद साहेब ने सरोद खाई कि मैं ऐसा न करंग और बीबी से भी कह दिया कि तुम किसी से यह बात मत कहना बाबा ने स्वीकार किया कि न कहूंगी। फिर उन्होंने दूसरी बी ख जाझा। इस पर यह आय खुदा ने उतारी जिस वस्तु को हमने तेरे पर लाल किया व लो तू इर।म क्यों करता है ? बुद्धिमान लोग विचा कि भला कहीं खुदा भiी के घर का निमटेरा करता फिरता है ? और सुहम्मद रक्द वहेग के तो आचरण इन बातों प्रगट ही हैं क्योंकि ज अनेक जिलों को जो कई व - वह ईश्वर का भक वा पैगम्बर से होद के ? मौर एक का पक्षपात अप मान करे और दू री का मान्य करे व पक्षपाती होकर अधक्यों नहीं और जो | बहती कि वे भी सन्तुष्ट न होकर वादियों के साथ फ़ैसे उनको लल्ला भय और धर्म कह से रहे है कि ने कहा है कि: कामातुरणा न भय न लज्जा ॥ जो काम मनुष्य ६ उनको अपम से भय दवा तज्ञा नहीं होती र इनकst खड़ा ा मुइफ द हाई t या मर स्र कड़े f Sा करने में जो सरपच बना ३ अव बुद्धि। लोग विचारले कि यह कुरान विद्वान् व ईश्वर शव है व किसी अविद्वान सलवधि का पनाया है स्पष्ट विदित हो जायगा र ६ पुरी अयत से प्रतीत होता है कि मुहम्मद डाहेत्र से उसकी कोई मांग मन दोई होगी उस पर खुदा ने यk म!यव उतर कर उ को धमकाया होगा िआदि रगा अrर मुहम्मद दिम से उड गा वे T हुए थे।